यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

भू को स्वर्ग बनाना है


भू को स्वर्ग बनाना है

हम बदलेंगे युग बदलेगा,खुद को श्रेष्ठ बनाना है।
मानव में देवत्व जगाकर,भू को स्वर्ग बनाना है।।

मानवता हो धर्म हमारा, जन सेवा सत्कर्म हमारा।
भय आतंक कहीं न होगा,भाव भरा हो मर्म हमारा।।
घृणा द्वेष से रिक्त ह्रदय हो,स्नेह धार बहाना है।
मानव में देवत्व जगाकर भू को स्वर्ग बनाना है।।

सुख बाँटें हम दुःख बंटाए,एक दूजे से प्यार बढायें।
घृणा द्वेष की निंदा होगी,धर्मों में सहकार बढायें।।
धर्म सत्य आधारित होगा, प्रेम भाव विकसाना है।
मानव में देवत्व जगाकर, भू को स्वर्ग बनाना है।।

परहित में जियेंगे जीवन, पापकर्म परपीड़ा होगी।
पर सेवा में तत्पर होंगे,कहीं कष्ट न पीड़ा होगी।।
ह्रदय संवेदन शील बनेगा,सबको श्रेष्ठ बनाना है।
मानव में देवत्व जगाकर,भू को स्वर्ग बनाना है।।

अन्यायी अत्याचारी की,केवल अब दुर्गति होगी।
सद्विचार सद्कार्य बढेंगे, संतों की प्रगति होगी।।
मन चंगा तन स्वस्थ,मनुज को सभ्य बनाना है।
मानव में देवत्व जगाकर,भू को स्वर्ग बनाना है।।

-उमेश यादव 23 मई २०२१

कोई टिप्पणी नहीं: