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रविवार, 16 जनवरी 2022

लोहिड़ी पर्व

 









लोहिड़ी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं


मुगलों के अत्याचारों की,अंतहीन कहानी थी

पैसों से बिकती थी कन्या, दास्ताँ पुरानी थी।।

 

लकड़ी, गोहा और रेवड़ी, का यह पर्व पुराना है

नारी रक्षा और वीरता का अद्भुत अफसाना है।।

लोहिडी पर्व से बेटी बचाने की ये सीख पुरानी थी

मुगलों के अत्याचारों की, अंतहीन कहानी थी।।

 

याद करें *दुल्ला भट्टी* को,वो 'पंजाब का नायक' था

शोषित अबला नारी जाति का,दुल्ला परम सहायक था।।

ले भागा बिकती कन्या को,मुगलों से उसे बचानी थी

मुगलों के अत्याचारों की, अंतहीन कहानी थी।।

 

मुक्त करा *सुंदरी मुंदरी* को, कन्यादान कराया था

शगुन में गुड़  दे भट्टी ने, अग्निफेरे लगवाया था।।

*उपकारी डाकू* दुल्ला को,मुगलों की जुल्म मिटानी था

मुगलों  के  अत्याचारों  की, अंतहीन कहानी थी।।

 

मक्की दी रोटी ते सरसों साग सभी को खाना है

आग ते बिच नाचेंगे सारे, मस्ती में झूम जाना है।।

यज्ञ परंपरा का वाहक त्योहारों की रीत पुरानी थी

मुगलों के अत्याचारों की, अंतहीन कहानी थी।।

उमेश यादव,शांतिकुंज हरिद्वार

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