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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

बादल

बादल

कितने परत बनाकर बादल,दिनकर को ढंकने आये हैं।
कोई इन्हें समझाये उनके, तप से ही उठ पाये हैं ।।

तनिक ऊंचाई उठे नहीं की,बादल को अभिमान हुआ।
अपनी गति विस्तार देखकर,मन में बहुत गुमान हुआ ।।
महामूर्ख था भूल गया कि, जलधर रवि के जाए है।
कोई इन्हें समझाये उनके, तप से ही उठ पाये हैं।।

अथक तपस्या से अंबूद को,अम्बर में पहुंचाया था।
परोपकार के लिए सूर्य ने,तपकर तुम्हें बनाया था।।
अहंकार मत करना वारिद, रवि ने तुम्हे बनाए है।
कोई इन्हें समझाये उनके, तप से ही उठ पाये हैं।।

खुद की तपन मिटाने तुम तो,मर्यादा ही भूल गए।
तुम्हें बनाने वाले को ही, तुमने इतने शूल दिए।।
दृष्टि बदलने भर से बस तू,मिट्टी में मिल जाए हैं।
कोई इन्हें समझाये उनके, तप से ही उठ पाये हैं।।
- *उमेश यादव शांतिकुंज हरिद्वार* 14may2020…

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