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बुधवार, 30 नवंबर 2022

बिरसा भगवान

 *बिरसा भगवान*

बिरसा भगवान् गरीब का,निर्बल का हमराही था।  

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।


उलीहातू खूंटी में पैदा,धरती का वह लाल हुआ।

सुगना-कर्मी पूर्ति का घर-आँगन तब खुशहाल हुआ।।

करुण प्रेम से भरा ह्रदय था,जन सेवा ही प्यारा था। 

“धरती आबा” बने थे वे तो,नाम ही उनका न्यारा था।।

किया विरोध उनने अनीति का,और जो तानाशाही था।

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।


पशु बलि और हिंसा को,मुंडा ने गलत बताया था। 

टोना जादू भुत प्रेत का,मन से वहम मिटाया था।।   

ईसाइयत स्वीकार नहीं, स्कूल से नाता तोड़ लिया।

“साहेब साहेब एक टोपी” वैष्णव से नाता जोड़ लिया।।

सिंगबोंगा या सूर्योपासना,का वह परम पुजाही था।

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।


फिरंगियों के अत्याचारों से जनवासी पस्त हुए थे।

धर्म-संस्कृति पर आघातों से वनवासी त्रस्त हुए थे।।

भू लगान से बुरा हाल था,झारखण्ड घबराया था।

सत्ता सुख में चूर फिरंगी,मद में अति बौराया था।।

अन्यायों से पीड़ित जनों का वह तो ही परछाही था।

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।


जल जंगल जमीन की खातिर,बिरसा ने संग्राम किया। 

‘उलगुलान’ करके मुंडा ने,गोरों को लहू लुहान किया।। 

तीर कमान भाले बरछे से,फिरंगी तब घबराया था।

कैद किया बिरसा को उनने,विष देकर मरवाया था।।

हुआ शहीद देशभक्त था,जन जन का इलाही था।

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

-उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार

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