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बुधवार, 30 नवंबर 2022

भारत हो सर्वोच्च जगत में

 *भारत हो सर्वोच्च जगत में*

जय भारत,जय हिन्द हमारा,हमें प्राण से प्यारा है। 

भारत हो सर्वोच्च जगत में, यह संकल्प हमारा है।। 


धरती अम्बर सागर में, अपना परचम लहराए।

वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्,अखिल विश्व ही गाये।।

एक धर्म हो,एक हो भाषा,एक राष्ट्र ही प्यारा है।

भारत हो सर्वोच्च जगत में,यह संकल्प हमारा है।।  


मानवता का पाठ यहाँ से,भूमंडल ने सीखा है।

गीता का उपदेश मनुज को,संजीवनी सरीखा है।। 

ज्ञान यहाँ का सर्वश्रेष्ठ है,जग को सदा उबारा है।

भारत हो सर्वोच्च जगत में,यह संकल्प हमारा है।।  


परोपकार हो धर्म जगत का,परहित समय लगाएं।।

परपीड़ा दुखदायी होता,खुशियों के चमन खिलाएं।। 

मानव मात्र एक समान हो,यह गुरुवर का नारा है। 

भारत हो सर्वोच्च जगत में,यह संकल्प हमारा है।। 


अखिल विश्व को हमने ही,जीने का आधार बताया।

राष्ट्रधर्म से सबको जोड़ा,ईश तत्त्व का मर्म बताया।।

राष्ट्रभक्ति जाग्रत हो सबमें, युग ने हमें पुकारा है।  

भारत हो सर्वोच्च जगत में,यह संकल्प हमारा है।। 


सभी सुखी हो,व्याधि मुक्त हो,सबका ही कल्याण हो।

श्रेष्ठ समुन्नत जीवन जियें,यह अपना अभियान हो।।

श्रेष्ठ विचारों से सुवासित,किया हमने जग सारा है।

भारत हो सर्वोच्च जगत में,यह संकल्प हमारा है।। 

-उमेश यादव

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