युग
निर्माता अध्यापक
युग निर्माता, भाग्य विधाता, जीवन पथ दिखलाते हैं।
जो जग को श्रेष्ठ बनाते हैं, वो अध्यापक कहलाते हैं॥
गढ़े कुम्हार कलश को जैसे,शिल्पी बनाते हैं
प्रतिमा को।
अनगढ़ सुगढ़ बनाते हैं वो,चमकाते सबकी प्रतिभा
को॥
कच्चे खनिजों को भी वह तो, हीरक सा चमकाते हैं।
जो जग को श्रेष्ठ
बनाते हैं, वो अध्यापक कहलाते हैं॥
माता सम वो प्रेम लुटाते, करुणामय करुणा
सिखलाते।
पिता तुल्य अनुशाशन से वे,जीवन मार्ग प्रशस्त
बनाते॥
अंतर के अज्ञान को लखकर,ज्ञान की ज्योति
जलाते हैं।
जो जग को श्रेष्ठ बनाते हैं, वो अध्यापक कहलाते हैं॥
संस्कारों से सिंचित करके, मन उपवन में पुष्प
खिलाते।
खुद अभाव में रहकर भी वे,शिष्यों को है योग्य
बनाते॥
शिक्षा देकर जन जन को वह, जीवन सरल बनाते हैं।
जो जग को श्रेष्ठ
बनाते हैं, वो अध्यापक कहलाते हैं॥
युग निर्माता, भाग्य विधाता, जीवन पथ दिखलाते हैं।
-उमेश यादव
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