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बुधवार, 30 नवंबर 2022

प्राण है यह राष्ट्र अपना,प्राण रहना चाहिए।

 प्राण है यह राष्ट्र अपना,प्राण रहना चाहिए।

मिट भी जाएं हम मगर ये राष्ट्र रहना चाहिए।।


देश में हो प्यार सबमें,देश से ही प्यार हो।।

नफरतों का दिल में कोई, ना कहीं आधार हो।।

वतन से ये प्रेम गंगा, अविरल बहनी चाहिए।

मिट भी जाएं हम मगर ये राष्ट्र रहना चाहिए।।


आपसी मतभेद हों पर,मन डूबे हों प्यार में।

कुर्बान हो जाएं हम तो, गम न हो संसार में।।

देश के गद्दार हैं जो, उनको मिटनी चाहिए।

मिट भी जाएं हम मगर ये राष्ट्र रहना चाहिए।।


कतरा कतरा रक्त का ये सांस पर अधिकार हो।

वतन के हर जन को अपने,वतन से ही प्यार हो।।

देश भक्ति की लहर, लहू में उतरनी चाहिए।

मिट भी जाएं हम मगर ये राष्ट्र रहना चाहिए।।


प्रगति की राह में जो, अड़चनें हैं, दूर होंगे।

शत्रु हैं जो राष्ट्र के वे, हारेंगे, मजबूर होंगे।।

शपथ लें हर देशवासी, देश बढ़नी चाहिए।।

मिट भी जाएं हम मगर ये राष्ट्र रहना चाहिए।।


लूट रहे जो देश को वो कान खोलकर  सुन ले।

हम जगे हैं,अब तो अपनी मौत को ही चुन ले।।

देश प्रेम की स्नेह धारा, दिल में बहनी चाहिए।

मिट भी जाएं हम मगर ये राष्ट्र रहना चाहिए।।

उमेश यादव, शान्तिकुंज, हरिद्वार

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