धर्म ध्वजा फहरे
सत्य,प्रेम और न्याय की जग में, धर्म ध्वजा फहरे।
नवयुग का उद्घोष व्योम तक, केशरिया लहरे।।
त्याग, तपस्या, बलिदानों की, प्रेरक दिव्य पताका।
निविड़ निशा में घिरे विश्व की,अंजन ज्ञान शलाका।।
आस्था दृढ़, विश्वास प्रबल हो, भक्ति भावना जागे।
साहस, बल, पुरुषार्थ प्रखर हो, असुर वृतियां भागे।।
ज्ञान कर्म और भक्तियोग की, साध सधे अब गहरे।
नवयुग का उद्घोष व्योम तक, केशरिया लहरे।।1
चिंतन,चरित्र,व्यवहार सभी के,सबके मन को भावे।
संयम, सेवा, स्वाध्याय का, साथ मनुजता पावे।।
तन बलिष्ठ और मन पवित्र हो,सेवामय जीवन हो।
मिलजुल कर सब रहें प्रेम से,सबमें अपनापन हो।।
श्रद्धा, प्रज्ञा, निष्ठां के हों, भाव मनों में गहरे।
नवयुग का उद्घोष व्योम तक, केशरिया लहरे।।2
शहीद, सुधारक, संतों का,सम्मान जगत में फैले।
लोभ, मोह और अहंकार से,रहें न अब कोई मैले।।
ओज, तेज, वर्चस धारण कर,हम अद्भुत कर पायें।
सादा जीवन, उच्च विचार का, मंत्र सभी अपनाएँ।।
गुण, कर्म, सुभाव से बने श्रेष्ठ औ’मनुज देव बन विचरें।
नवयुग का उद्घोष व्योम तक, केशरिया लहरे।।3
दिग-दिगंत तक,आदि अनंत तक,क़दम बढ़ाकर नापें।
धरती से अवनी, अम्बर, चहुँ ओर श्रेष्ठता व्यापे।।
विचार क्रांति अभियान हमारा,फैले दसों दिशा में।
लाल-मशाल के साथ चलें हम,तम की गहन निशा में।।
बढ़े कदम, पीछे न हटायें, भले विकट हों लहरें।
नवयुग का उद्घोष व्योम तक, केशरिया लहरे।।4
ममता समता शुचिता सबमें, साहस सब अपनाएँ।
नयी धरा हो, नया गगन हो, नव संसार बसायें।।
मानव में देवत्व उदय कर, स्वर्ग धरा पर लाना।
युग निर्माण है लक्ष्य हमारा,निश्चित ही है पाना।।
मंजिल मिल जाने से पहले, कहीं नहीं हम ठहरे।
नवयुग का उद्घोष व्योम तक, केशरिया लहरे।।5
- उमेश यादव 19-2-21
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