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रविवार, 13 नवंबर 2022

युवा सन्यासी –विवेकानन्द

 

युवा सन्यासी –विवेकानन्द

हे सन्यासी तूने जग में, ज्ञान क्रांति का अलख जगाया

स्वामी तेरी प्रतिभा को, ही सारे जग ने शीश नवाया।।

         

युवा तेजस्वी-चरित्रवान हों, शूरवीर और राष्ट्र भक्त  हों

श्रम से भरे बलवान मनुज हो,बुद्धि प्रखर हो,उष्ण रक्त हों।।

गहन निशा में फंसे विश्व को, तूने दिव्य प्रकाश दिखाया

हे  सन्यासी तूने जग में, ज्ञान  क्रांति का अलख जगाया।।

 

इंसानियत ही श्रेष्ठ धर्म है,तुमने जग को यही सिखाया

धर्म, कर्म व मर्म सहिष्णु, दिव्य ज्ञान  सर्वत्र  बताया।।

भटक रही थी धर्म-मनुजता,तूने ही सन्मार्ग  दिखाया

हे सन्यासी तूने जग में,ज्ञान क्रांति का अलख जगाया।।

 

नरेन हमारे युवा सन्यासी, विवेकानंद बन जग को भाये

अज्ञान ग्रसित भारत पुत्रों को, ज्ञान दान दे श्रेष्ट बनाए ।।

अपने लिए तो पशु भी जीते,परहित में जीना सिखलाया

हे सन्यासी तूने जग में, ज्ञान क्रांति का अलख जगाया।।

 

धर्म ध्वजा ले दिग-दिगंत तक, माता को सम्मान दिया था

भारत माँ के वीर सपूत तू, भारत माँ के लिए जिया था ।।

भारत  एक  प्रबुध्द  राष्ट्र है, यह  सारे जग को बतलाया

हे सन्यासी तूने जग  में, ज्ञान  क्रांति का अलख  जगाया।।

-उमेश यादव


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