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बुधवार, 30 नवंबर 2022

वतन है माता हमारी,

 वतन है माता हमारी, वतन से सम्मान है।

माँ से ही तो प्राण सबका,माँ से ही अरमान है।।


माँ तुम्हारी ही कृपा से,सांस चलती है हमारी।

माँ तुम्हारी ही दया से,आस पलती है हमारी।।

जहाँ मेरी तुम हो माता, तुम्हीं आसमान है।

वतन है माता हमारी, वतन से सम्मान है।।


माँ के अन्चरे को न कोई, मलीन करने पायेगा।

आँखें दिखाने वाला माते,निश्चित मिट जाएगा।।

वतन के खातिर मिटेंगे,वतन ही अभिमान है ।

वतन है माता हमारी, वतन से सम्मान है।।


जो भी तेरा शत्रु होगा,बच नहीं वह पायेगा।

मिटेगा अस्तित्व उसका,ठौर कहीं न पायेगा।।

शपथ है तेरी हे माते, तेरे लिए मन प्राण है।

वतन है माता हमारी, वतन से सम्मान है ।।


 दुश्मनों की चीर छाती,बुलंदी पर जायेंगे ।

हमसे जलने वाले माते,स्वयं ही जल जाएंगे।।

स्वर्ग से सुंदर जहां में, सभी का कल्याण है।

वतन है माता हमारी, वतन से सम्मान है ।।


मां सुनो, सांसे रहे तक,सर न झुकने देंगे हम।

प्रगति के कदम बढ़े जो,वह न रुकने देंगे हम ।।

तुमसे ही है सांझ माते, तुमसे नव विहान है।

वतन है माता हमारी, वतन से सम्मान है।।

उमेश यादव, शान्तिकुंज, हरिद्वार

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