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रविवार, 13 नवंबर 2022

मैं नारी हूँ।

मैं नारी हूँ।

मैं  नारी  हूँ,  मैं  शक्ति हूँ , मैं देवी हूँ, अवतारी हूँ  मैं।

अबला कभी समझ मत लेना,ज्वाला हूँ, चिंगारी हूँ मैं।।

               

कल्याणी,भवानी,सीता भी मैं,गायत्री गंगा गीता भी मैं।

माँ हूँ तो कन्या भी हूँ मैं, भगिनी, बहु,परिणीता भी मैं।।

मुझको डरना  मत  सिखलाना, मैं दुर्गा  हूँ, काली हूँ मैं।

अबला कभी समझ मत लेना, ज्वाला हूँ, चिंगारी हूँ मैं।।

 

वसुंधरा सी  सहिष्णुता  और सागर की गहराई  मुझमें।

सृष्टि चक्र की  धुरी हूँ  मैं, जीवन  मूल समाया  मुझमें।।

प्रलय  के झंझावातों में  भी, शीतलता हूँ,फुलवारी हूँ मैं।

अबला कभी समझ मत लेना, ज्वाला हूँ, चिंगारी हूँ मैं।।

 

मरू का निर्झर,शांत प्रखर,उन्मुक्त प्रवाह की सरिता हूँ मैं।

सबके हित जीती मैं औरत,सहचरी,श्रीमती,वनिता हूँ मैं।।

किसी की भी नहीं मैं दुश्मन, हर दुश्मन पर  भारी हूँ  मैं।

अबला कभी समझ मत लेना, ज्वाला हूँ, चिंगारी  हूँ  मैं।।

 

रण में हूँ  मैं, धन में  हूँ मैं, कला, कौशल,विधान में मैं हूँ।

अभिनय,खेल,विज्ञान में हूँ मैं,तकनीकी अभियान में मैं हूँ।।

सम्पूर्ण  जगत  की जननी  मैं  हूँ, स्त्री हूँ मैं, न्यारी  हूँ  मैं।

अबला कभी समझ मत लेना, ज्वाला हूँ, चिंगारी  हूँ  मैं।।

मैं  नारी  हूँ, मैं  शक्ति  हूँ, मैं  देवी  हूँ,  अवतारी  हूँ  मैं।।

 

-उमेश यादव १८-१२-२०


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