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बुधवार, 30 नवंबर 2022

रानी लक्ष्मी बाई

 *रानी लक्ष्मी बाई* 

मोरोपंत और भागीरथी की, मणिकर्णिका दुलारी थी। 

वाराणसी की वीर छबीली, मनु  दुर्गा अवतारी थी।।   


बाजीराव के राज सभा में, बचपन उनका बीता था। 

शास्त्रों की ज्ञाता थीं उनको, प्रिय रामायण गीता था।।

दरबारी बचपन से थी तो, राज काज में दक्ष रहीं । 

प्रजाहित की समझ उसे थी,न्याय हेतु निष्पक्ष रहीं।। 

शिवा थे आदर्श मनु के, समर भूमि फुलवारी थी।

वाराणसी की वीर छबीली, मनु दुर्गा अवतारी थी।।   


शस्त्र चलाना बचपन से ही,,बड़े  चाव से सीखा था।

भाला बरछा तलवारों से,मनु से न कोई जीता था।।

तीर कमान समशीर सदा, हाथों में शोभा पाते थे।

बड़े बड़े योद्धा भी उनसे,लड़कर हार ही जाते थे।। 

दुश्मन तो थर थर कापें थे,जब उनने हुंकारी थी।

वाराणसी की वीर छबीली, मनु दुर्गा अवतारी थी।।   


राव गंगाधर संग फेरे ले, अब झाँसी की रानी थी।

मनु से लक्ष्मी बाई बनी वो,आगे असल कहानी थी।

अंग्रेजों के हड़प नीति ने, झांसी को अवसाद दिया। 

किया खजाना जब्त राज्य का,राजकोष बर्बाद किया।।  

झाँसी को रक्षित करने का,संकल्प लिए ये नारी थी।

वाराणसी की वीर छबीली, मनु दुर्गा अवतारी थी।।   


रणचंडी बन कूद पड़ी वह, अंग्रेजों से टकराई थी। 

युद्ध भूमि में रण कौशल से,उनको धुल चटाई थी।।

हारी गयी अंग्रेजी सेना,कालपी ग्वालियर भी हारी।

झांसी की रानी काली बन,रिपुओं पर वो थी भारी।।

वीरगति को पायी रानी, वीरांगना अवतारी थी। 

वाराणसी की वीर छबीली, मनु दुर्गा अवतारी थी।।   

उमेश यादव

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