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बुधवार, 30 नवंबर 2022

आत्मबोध – तत्वबोध

 *आत्मबोध – तत्वबोध* 

हर दिन अपना नया जन्म है,रात्रि समझो देहावसान है। 

हर दिन का रख लें हम लेखा,भूल सुधार बनते महान हैं।। 


सुबह सबेरे जगते ही हम, आत्मबोध का भाव जगाएं। 

नया जन्म है एक दिवस का,यही सोच शुभ करें कराएं।।

दिनभर अच्छे कार्य ही करना,सांझ ढले सुर्यावसान है।

हर दिन अपना नया जन्म है,रात्रि समझो देहावसान है।। 

 

काम करें ऐसा की जिसमें, औरों का कल्याण छुपा हो।

कदम बढ़े उधर ही जिसमें,दुखियों का उत्थान छुपा हो।।

ध्वंस सरल है,सृजन कठिन है,सन्मार्ग नहीं आसान है।

हर दिन अपना नया जन्म है,रात्रि समझो देहावसान है।। 

 

रात्री प्रहर,विश्राम से पहले,तत्वबोध कर मनन करें हम। 

क्या अच्छा,क्या बुरा हुआ,सोने से पहले गणन करें हम।।

स्वर्ग नरक कर्मों से ही है, प्रतिदिन का  यह ध्यान है।

हर दिन अपना नया जन्म है,रात्रि समझो देहावसान है।। 

 -उमेश यादव –

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