मन रे अवगुण दूर भगा.
मन के साधे सब सध जाये।
मुक्ति, मोक्ष,स्वर्ग मिल जाये।
निर्मल मन तो काया निर्मल।
दाग ना मन तू लगा..
मन रे अवगुण दूर भगा।
मन कि शक्ति बड़ी अजब है।
करतब मन के बड़े गज़ब है।
मनमानी तू छोड़ रे मनवा।
खुद को श्रेष्ठ बना...
मन रे अवगुण दूर भगा।
मन ही ईश्वर, मन ही पूजा।
मन के आगे श्रेष्ठ ना दूजा।
मन के मन में अगर प्रेम है।
जगत पति बन जा...
मन रे अवगुण दूर भगा।
-उमेश यादव, शांतिकुंज-हरिद्वार
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