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रविवार, 13 नवंबर 2022

गीता सार

 

गीता सार

कर्म  किये  जा फल की चिंता, क्यों करता बेकार है।

कर्म का फल तो मिलता ही है,यह गीता का सार है।।

ज्ञान कर्म  और भक्ति योग ही, गीता का उपदेश है।

कर्त्तव्य  मार्ग  पर बढ़ो निरंतर, ईश्वर का सन्देश है।।

परहित  सबसे  बड़ा  धर्म है, दुःख देना दुराचार  है।

कर्म का फल तो मिलता ही है,यह गीता का सार है।।

संयम सेवा सहिष्णुता का, ज्ञान हमें सिखलाता है।।

धर्म अर्थ व काम मोक्ष का,महत्व हमें बतालाता है।

जन  सेवा  में  अर्पित  जीवन, सर्वोतम  संस्कार है ।

कर्म का फल तो मिलता ही है,यह गीता का सार है।।

संत - साधू  की  रक्षा  हेतु, ईश्वर  हरदम  आते  है।

दुष्ट  दुर्जनों  का  संहार कर, दुनिया नयी बसाते हैं।।

परोपकारमय जीवन जिनका,उन्हें मिला प्रभु प्यार है।

कर्म का फल तो मिलता ही है,यह गीता का सार है।

अजर अमर यह आत्म कलेवर,क्यों निराश तुम होते हो।

मन  को  साधो हे मनुष्य क्यों, साहस को तुम खोते हो।।

प्रभु  की रचना  स्वर्ग सी सुन्दर, यह  अद्भुत संसार है।

कर्म का फल तो मिलता ही है, यह  गीता  का  सार है।।

क्या लाये थे क्या ले जाना, खाली  हाथ ही  जाना है।

सब कुछ ईश् को सौप दे बन्दे, अंतिम वही ठिकाना है।।

स्वार्थ  नहीं परमार्थी जीवन, जनहित  का  आधार  है।

कर्म का फल तो मिलता ही है, यह गीता का सार है।।

-उमेश यादव

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