नशे की मार
समाज रो रहा है,परिवार रो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है।।
ये क्या हो रहा है देखो,क्या हो रहा है।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है।।
सहारे से चलता, वो सहारा था सबका।
उपेक्षित है सबसे, जो प्यारा था सबका।।
नशे से ही घर औ’ परिवार खो रहा है ।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है।।
नयी जिंदगानी, दुर्व्यसन कर रही है ।
तरुणों की जवानी,नशे से मर रही है।।
व्यसनी न बनो,अन्धकार हो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है।।
रिश्ते नाते कुटुम्बी, तुमसे दूर जा रहे हैं ।
ईमान धर्म नीति , ना निभ पा रहे हैं ।।
नसें, विष नशा से, बेकार हो रहा है ।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है।।
समय आ गया है, दुर्व्यसन को भगाओ
नशा मुक्त जग हो, ये करके दिखाओ।।
हँसाना है, जिसको ये दर्द हो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है।।
-उमेश यादव
समाज रो रहा है,परिवार रो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है।।
ये क्या हो रहा है देखो,क्या हो रहा है।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है।।
सहारे से चलता, वो सहारा था सबका।
उपेक्षित है सबसे, जो प्यारा था सबका।।
नशे से ही घर औ’ परिवार खो रहा है ।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है।।
नयी जिंदगानी, दुर्व्यसन कर रही है ।
तरुणों की जवानी,नशे से मर रही है।।
व्यसनी न बनो,अन्धकार हो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है।।
रिश्ते नाते कुटुम्बी, तुमसे दूर जा रहे हैं ।
ईमान धर्म नीति , ना निभ पा रहे हैं ।।
नसें, विष नशा से, बेकार हो रहा है ।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है।।
समय आ गया है, दुर्व्यसन को भगाओ
नशा मुक्त जग हो, ये करके दिखाओ।।
हँसाना है, जिसको ये दर्द हो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है।।
-उमेश यादव
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