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बुधवार, 30 नवंबर 2022

अन्तस के अँधियारे को,

 दीप से दीप जलाएँ ।।

अन्तस के अँधियारे को, आओ हम दूर भगायें।

दीप से  दीप जलाएँ, आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुर नाश कर पुन: राम जब,अवधपुरी में आये थे।

नर - नारी आबाल वृध्द ने, घी के दीये जलाए थे।।


राम राज्य साकार हुआ था, अवधवासी हर्षाए थे।

सम्पूर्ण राष्ट्र ही धन्य हुआ था,गीत खुशी के गाये थे।।

आओ मन के  असुरों को भी, फिर से मार भगायें।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।


नरकासूर  ने  अत्याचार से, ऐसा  नर्क मचाया था।

देव पूजित नारियों को  ही, उसने बन्दी बनाया था।।

सत्यभामा संग श्रीकृष्ण ने, उनको  मुक्त कराया  था।

नरकासूर का नर्क मिटा कर,दीपोत्सव मनवाया था।।

नारी  का  अपमान नहीं, अब उनको सबल  बनाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।


असुरों ने जब धरा धाम पर,भीषण अत्याचार किया।

माँ दुर्गा ने महाकाली बन, महिषासुर  संहार किया।।

तमसो मा सदगमय का फिर, भाव सर्वत्र जगाना है।     

हर कोना रोशन हो जाए, ऐसी ज्योति  जलाना   है।।

हम  बदलेंगे युग  बदलेगा, घर घर अलख जगाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।


अन्तस के अँधियारे को, आओ हम दूर भगायें।
दीप से  दीप जलाएँ, आओ  दीपावली  मनाएं।।

असुर नाश कर पुन: राम जब, अवधपुरी में आये थे।
नर - नारी आबाल वृध्द ने, घी के दीये जलाए थे।।
हर कोना रोशन कर सबने, गीत खुशी के गाए थे।
तमसो मा ज्योतिर्गमय के, भाव सभी में छाए थे।।  

हम  बदलेंगे युग  बदलेगा, घर घर अलख जगाएं।
दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।

        -उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार

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