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शनिवार, 12 नवंबर 2022

दशावतार –मानव विकास की कथा

*दशावतार –मानव विकास की कथा* 
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया|  
सृष्टि सृजन में दशावतार ले,यह अद्भुत संसार बसाया॥
                      तुमने सुन्दर जगत बसाया॥

दशावतार मानव विकास के, अनुक्रम को बतलाता है| 
घटघट वासी ईश्वर का अनुपम,रूप हमें दिखलाता है॥
हर कथा कहानी ग्रंथों में है,अति अद्भुत ज्ञान समाया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥0॥ 

महाप्रलय पश्चात सिन्धु था, जलीय जीव विकसाए थे|
सतत विकास के क्रम में भगवन,मीन रूप धर आये थे॥
वेद ज्ञान संचित रख प्रभु ने,नवल सृजन का शंख बजाया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥1॥  

विकसित हुए उभयचर प्राणी, जल-थल में जीव विराजे| 
उभय स्थान पर रहने वाले, जीव जंतु जगत में साजे॥
कछुए का प्रभु रूप धरे तुमने, धरती का भार उठाया| 
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥2॥ 

जल जमीन अलग होने तक,पंक-कीच में सना हुआ था| 
शुकर समान जीव थे भूपर, दलदल गारा बना हुआ था॥ 
वराह रूप लेकर श्री हरि ने, तब दांतों से इसे जमाया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया ॥3॥ 

वन सम्पदा बढ़ी धरती पर,वन का जीव फिर आया था|
प्रगति के क्रम में धरती पर,जंतु नर-पशु सा आया था॥ 
मानव विकास के क्रम में प्रभु ने नर-सिंह रूप दिखाया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया ॥4॥

वनमानुष सा लघु मानव का, धरती पर आवास हुआ|
इस कालखंड में ही मानव का,लघु से पूर्ण विकास हुआ॥
वामन रूप से विकसित मानव बन, पूर्ण धरा पर छाया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥5॥ 

पाषाण युगीन मानव था तब, आखेट किया करता था| 
परशु कुठार पत्थर से अपना, रक्षण पोषण करता था॥
परशुराम अवतार ने सबको, उस युग का भान कराया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥6॥ 

बर्बर था मानव जाति तब, दैत्यों ने त्राहि मचाया था  
मानव थोडा सभ्य हुआ था, धनुष बाण अपनाया था॥ 
नीति नियम मर्यादा का युग, श्रीराम राज्य में आया| 
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥7॥

चक्र मुरली हल हाथ लिए प्रभु, श्रीकृष्ण रूप में आये| 
ज्ञान कर्म और भक्ति योग का, गीता ज्ञान सुनाये॥
कृषि और गोपालन से हमने, प्रगति का कदम बढ़ाया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥8॥ 

करुणा ममता धर्म अहिंसा, का व्यापक विस्तार हुआ| 
मानव में अब बुद्धि बढ़ी थी,मानवता का उपकार हुआ॥
बुद्ध रूप में हे भगवन तुमने, विज्ञ मानव विकसाया| 
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥9॥ 

प्रगति के पहिये में पंख लगे,चन्द्र तारक तक हम पहुंचे|
अनु में, विभु में,दिग दिगंत तक,नभ से भी हो गए ऊँचे॥
कल्कि-प्रज्ञा अवतार प्रभु ने,मन-चिंतन को श्रेष्ठ बनाया|
जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥10॥
-उमेश यादव, शांतिकुंज, हरिद्वार

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