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मंगलवार, 29 नवंबर 2022

पूज्य गुरुदेव चालीसा

 पूज्य गुरुदेव चालीसा 

हे युगऋषि हे तपोनिष्ठ,हे वेदमूर्ति  श्रीराम। 

युग के विश्वामित्र तुम्हें, कोटि कोटि प्रणाम।।  

श्री गुर मातु सहाय हो, कृपा करो प्रभु आज। 

शक्ति भक्ति सामर्थ्य दो, सफल करो सब काज।। 

जय श्रीराम जगत हितकारी। 

जय गुरुवर जग मंगलकारी।।1

आँवलखेड़ा जन्म तुम्हारा। 

हर्षित हुआ जगत यह सारा।।2 

रुपकिशोर  दानकुंवरी माता।

जाके सूत गुरु जग विख्याता।3 

तप:पूत अद्भुत बुद्धि ज्ञाना। 

वेदमूर्ति प्रभु कृपा निधाना।।4

गुरुवर ब्रह्मा विष्णु महेशा। 

गुरु पारस सुरतरु सर्वेशा।।5 

गुरु ईश् दोउ साथ हैं स्वामी। 

परम प्रतापी अंतरयामी।। 6

कर लेखनी सोहत छवि न्यारी।

ज्ञान यज्ञ कर दिशा संवारी ।।7

ले अवतार धरा पर आये। 

विचार क्रांति के दीप जलाये।।8

राष्ट्र हित सैनिक बन धाये। 

देशभक्त गुरु  मत्त कहाए।।9 

निज गुरुवर से आशीष पाकर।

तपे स्वयं हिमालय जाकर।।10

ऋषियों मुनियों के काज सँवारे। 

दुर्विचार  जग से  संहारे।।11

सूक्ष्मीकरण गुरुवर ने साधा।

महाकाल भये काल को बांधा।।12

कुण्डलिनी से भवभूत हुए हैं।

ऋषि मुनियों के दूत बने हैं।।13

यज्ञ पिता गायत्री माता। 

जोड़ा इनसे जग का नाता।।14

युग निर्माण का विगुल बजाया।

विचारक्रान्ति अभियान चलाया।।15

संस्कारों से जीवन सींचा। 

कुरीति पंक से बाहर खींचा।।116

वेद पुराण उपनिषद सारे। 

गुरु कृपा जग ने उच्चारे।।17

एक पिता के हैं सब जाए। 

आत्म भाव सबमें विकसाए।।18

मानव मात्र समान बताया।

जाति वंश का भेद मिटाया।।19 

जय श्रीराम सकल दुख हारी।

माँ भगवती सर्व सुख दातारी।।20

सहधर्मिणी  भगवती  माई।

सबकी माताजी कहलाई।।21

कोटि कोटि पुत्रों की माता।

वंदनीया माँ जग विख्याता।।22 

अखिल विश्व परिवार बनाया।

प्राणी मात्र से स्नेह सिखाया।।23

स्वयं तपे तपना सिखलाये।

युग परिवर्तन कर दिखलाए।।24 

नारी जागृति शंख बजाया। 

नारी शक्ति का मान बढाया।।25

मानव में देवत्व जगाये। 

धरा धाम को स्वर्ग बनाये।।26

गुरुरूप ईश्वर अवतारी।

दिए ज्ञान मेटे अंधियारी।27 

गुरु के कृपा मुक्त संसारा।

गुरु श्रद्धा भवसिन्धु पारा।।28

घर घर अलख जगाये जग में।

ज्ञान दीप ज्योतित की मग में।29

यज्ञ योग परमार्थ सिखाये। 

जप तप ध्यान मर्म बताये।।30

सादगी पूर्ण संयमित जीवन।  

उच्च विचार श्रेष्ठ मनभावन।।31  

आर्ष ग्रन्थ परिभाषित कीन्हा।

मनुज हेतु सुगम कर दीन्हा।।32

वेद पुराण जन जन ने गाये।

अखंड ज्योति जग में फैलाए।।33

नमों नमो गुरुवर के चरना। 

नमो नमो दुःख संकट हरना।।34

दुष्ट ह्रदय सदय कर दीन्हा। 

दीन हीन शरण निज लीन्हा।।35

शरण तुम्हारे जो भी आया। 

स्नेह प्यार दे कष्ट मिटाया।।36 

धर्म कर्म का मर्म समझाया। 

परहित में जीना सिखलाया।।37 

वैज्ञानिक अध्यात्म पढ़ाया।

समझदार इंसान बनाया।।38

राष्ट्र जागरण यज्ञ परचारा।

जन जागृति हित हुंकारा।।39

धर्म चेतना जागृत कीन्हा।

देव संस्कृति जग को दीन्हा।।40

विचार क्रान्ति का बिगुल बजाया।

युग द्रष्टा ने  अलख जगाया।।41 

संयम सेवा पाठ पढाये।

तपोमूर्ति तपना सिखलाये।।42

शांतिकुंज युग तीर्थ बनाया। 

ज्ञानामृत का पान कराया।।43

बुद्धि विनय विवेक गुरु, स्मरण दिव्य प्रसंग।

मम हृदय निवास कर, मातु भगवती संग।।

-उमेश यादव

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