गुरुवर
के अनुदान
विद्या का धन देकर गुरुवर, मन आलोकित कर दिया है।
सदविचार की शक्ति जगाकर, वाणी को नव स्वर दिया है।।
कठिन
तपस्या से गुरुवर ने, गायत्री को सिद्ध किया था।
परोपकार के लिए आपने ,सबको यह उपलब्ध किया था।।
अपने तप से
ही गुरुवर
ने, जगती
का उद्धार किया है।
सदविचार की शक्ति जगाकर,वाणी को नव स्वर दिया है।।
ज्ञान चक्षु
को खोल गुरु ने, एक नया प्रकाश दिखाया।
अंधविश्वास की बेड़ी काटी, कुरीतियों को दूर भगाया।।
नए समाज
की संकल्पना को,गुरुवर ने साकार किया है।
सदविचार की शक्ति जगाकर,वाणी को नव स्वर दिया है।।
धर्म ढोंग
व्यापार नहीं अब, जीवन का आधार बना है।
दया, दान,
परहित
प्रधान अब,दिव्य ज्ञान व्यव्हार बना है।।
संस्कारों की परंपरा
से, मानवता पर उपकार किया है।
सदविचार की शक्ति जगाकर, वाणी को नव स्वर दिया है।।
संयम, सेवा,
मर्यादा
को, सबके लिए अनिवार्य बताया।
मानव में देवत्व उदय कर, धरती को
ही स्वर्ग बनाया।।
हमें बदल कर युग बदला है, विश्व क्रांति ही कर दिया
है।
सदविचार की शक्ति जगाकर, वाणी को नव स्वर दिया है।।
-उमेश
यादव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें