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बुधवार, 30 नवंबर 2022

कृष्ण आन बसों

 *कृष्ण आन बसों*

कृष्ण आन बसों मेरे मन में तू,ये मन भी पावन बन जाए।। 

अब कृपा करो वृषभानु लली, यह उर वृन्दावन बन जाए।

 

मुरलीधर अपने होठों से, मुरली  की तान सूना जाना।

बज उठे ह्रदय के तार सभी, ऐसे ही धुन में गा जाना।।

नंद नंदन स्नेह रस बरसाओ, जीवन मनभावन बन जाए। 

कृष्ण आन बसों मेरे मन में तू,ये मन भी पावन बन जाए।। 


तू ग्वाल बाल के संग आना,गोपियों संग राधा को लाना।  

प्रभु शुष्क हो रहा मन मेरा, उर स्नेह प्यार से भर जाना।।

रंग रसिया रंग डालो मुझको, तन मन सतरंगी बन जाए।  

कृष्ण आन बसों मेरे मन में तू,ये मन भी पावन बन जाए।। 


मुरलीधर अपने होठों से, मुरली  की तान सूना देना।

बज उठे ह्रदय के तार सभी,मन के सब तार हिला देना।।

बंशीधर प्रेम रस बरसाओ, जीवन मनभावन बन जाए। 

कृष्ण आन बसों मेरे मन में तू,ये मन भी पावन बन जाए।। 


है निज कर्मों का भान नहीं,जीवन में भक्ति, ज्ञान नहीं।

यह सृष्टि तुम्हारी ही छवि है, कर पाते तेरा ध्यान नहीं।।

प्रभु गीता का ज्ञान हमें देना, जीवन के पथ में डट जाएँ।  

कृष्ण आन बसों मेरे मन में तू,ये मन भी पावन बन जाए।। 

-उमेश यादव

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