*माताजी
के स्नेह से सिंचित*
माताजी
के स्नेह से सिंचित, गायत्री परिवार है।
महाकाल
की महाशक्ति को नमन हजारों बार है।।
भक्तिदायिनी
हे जगमाता,पुत्रों को सन्मार्ग बताया।
शक्तिदायिनी
ने संबल दे,पुत्रों को बलवान बनाया।।
धर्म
कर्म सिखलाया माँ ने,जिससे उच्च विचार है।
माताजी
के स्नेह से सिंचित, गायत्री परिवार है।।
प्रेमसूत्र
से बाँधा तूने,मिलजुलकर रहना सिखलाया।
सुख
को बाँटें दुःख बंटायें,प्रेम मंत्र तुमने बतलाया।।
स्वर्ग
बना है घर ही अपना, आपस में सहकार है।
माताजी
के स्नेह से सिंचित, गायत्री परिवार है।।
नारी
हो समर्थ जगत में,नारी जागृति शंख बजाया।
नारी
का सम्मान सदा हो,नैतिकता का पाठ पढ़ाया।।
अबला
नहीं सबल है नारी,उनसे घर परिवार है।
महाकाल
की महाशक्ति को नमन हजारों बार है।।
संस्कारों
की परंपरा को माँ ने ही अभियान बनाया।
संस्कारों
की धूम मचाकर,हर मानव को श्रेष्ठ बनाया।।
कृपासिंधु
माँ तेरी कृपा से, सबमें अच्छे संस्कार है।
महाकाल
की महाशक्ति को नमन हजारों बार है।।
-उमेश यादव
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