ममतामयी हे मातु भगवती
कृपा करो हे कृपालु
गुरुवर,शिष्यों का दुःख कष्ट हरो।
ममतामयी हे मातु
भगवती, पुत्रों का भय नष्ट करो।।
मनुज मात्र माँ
पीड़ित हुआ है,दयामयी हो,करुणा कर दो।
चरणों में हम
शिष्य तुम्हारे, शरणागति हैं पीड़ा हर लो।।
आधि व्याधि से
त्रसित विश्व है,रोग शोक को पस्त करो।
कृपा करो हे कृपालु गुरुवर, शिष्यों का दुःख कष्ट हरो।।
हाहाकार चहुँओर
मचा है, पुत्र तुम्हारे विलख रहे हैं।
स्वजन सगे भी दूर
जा रहे,संतति तेरे सिसक रहे हैं।।
ह्रदय आज विदीर्ण
हो रहा, नयन भरे जल नष्ट करो।
ममतामयी हे मातु
भगवती, पुत्रों का भय नष्ट करो।।
कठिन समर है श्वास
प्राण का,साँसे दे प्रभु प्राण उबारो।
भ्रम भय से मन
विकल हुआ है,इससे माते शीघ्र उबारो।।
भ्रमित हो रहा मन
यह कैसे,मन के भ्रम अब नष्ट करो।
कृपा करो हे कृपालु
गुरुवर, शिष्यों का दुःख कष्ट हरो।।
अस्त व्यस्त हो
रही व्यष्टि यह,हे संपोषक उसे संवारो।
कश्ती है मंझधार
में अटकी, हे गुरुवर नैया पार उतारो।।
अभयदान दे दो जगती
को, आनंदमयी दुःख नष्ट करो।
ममतामयी हे मातु
भगवती, पुत्रों का भय नष्ट करो।।
आस तुम्हीं,विश्वास
तुम्ही हो, किसे और पुकारूं गुरुवर।
तुम सम कोई और न दूजा,विघ्न
हरो अब हे विघ्नेश्वर।।
तुम रक्षक हो जीव मात्र के, हे स्वामी अब पुष्ट करो।
कृपा करो हे कृपालु
गुरुवर, शिष्यों का दुःख कष्ट हरो।।
-उमेश यादव,
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