अखंड दीप के दिव्य ज्योति को
दर्शन मात्र से सिद्ध हो जाते, बिगड़े सारे काम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
गुरुवर ने प्रचंड तप करके,ज्योति सिद्ध कराया।
माताजी ने स्नेह बाती दे, दीप अखंड जलाया।।
ऋषियों के तप की उर्जा से,है यह ललित ललाम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
दर्शन से सुख पाते मानव, दिव्य शान्ति हैं पाते।
सम्मुख आकर व्यथा वेदना,कष्ट सभी मिट जाते।।
प्रतिपल शक्ति प्रवाहित होता,भरता है नव प्राण।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
दिव्य दीप को नमन करें हम,सुख सौभाग्य जगाएं।
अंतस में तप की उर्जा ले, मन वांछित फल पायें।।
दिव्य भाव भर देता है उर में,मन होता निष्काम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
जनम जनम के पाप ताप को,पल में ये हर लेता।
इसकी पावन ज्योति से प्राणी,भवसागर तर लेता।।
नमन करें श्रद्धा सहित हम, दंडवत करें प्रणाम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
-उमेश यादव
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