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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

उम्र से पहले शादी

 

*उम्र से पहले शादी*

उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार किया है।

घर वालों ने बोझ समझकर,आंसू का उपहार दिया है।।

 

खेल खिलौने थे हाथों में,हथकड़ियों से हैं चुडे कंगन ।

हँसते थे उन्मुक्त हंसी अब,रस्म रिवाजों के हैं बंधन।।

काजल से ना शोभित आँखें,अविरल अश्रु धार दिया है।

उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार किया है।।

 

रिश्ते नातों का बंधन है, कैसे इसे निभाउंगी मैं।

घूँघट में अपने सपनों को,कैसे सच कर पाउंगी मैं।।

टूट गए हैं सारे सपने,अपनों ने ही प्रहार किया है।

उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार किया है।।

 

कच्ची माटी की गगरी हूँ,सृजन कलश क्या ढो पाउंगी।

नयी सृष्टि से पहले ही मैं, कच्ची काया ढह जाउंगी।।

कलियों को तोड़ा अपनों ने,पुष्पों का संहार किया है।

उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार किया है।।

 

पढ़ने और बढ़ने के दिन थे,अरमानों को तोड़ दिया है।

चूल्हा चौका करती हूँ अब,सपनों ने संग छोड़ दिया है।।

पंक्षी को उड़ने से पहले, ही पिंजरे में डार दिया है।

उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार किया है।।

 -उमेश यादव

 

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