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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

वह पावन दिन आया

 

*वह पावन दिन आया*

उन्नीस सौ छब्बीस बसंत को,वह पावन दिन आया।

हर्षित हुए संत ऋषि मुनिगन, गुरु ने दीप जलाया।।

 

दादा गुरु जी ब्रह्म मुहूर्त में, सूक्ष्म स्वरुप से आये।

हिमगिरी के ऋषि मुनियों का,सन्देश उन्हें समझाये।।

पंद्रह वर्ष की वय में गुरु को,गुरुतर दायित्व थमाया।

उन्नीस सौ छब्बीस बसंत को,वह पावन दिन आया।।

 

साधना कक्ष में गुरूवर को, दर्शन दिव्य कराया था।

समर्थ, कबीर,रामकृष्ण का, पूर्व जन्म दिखलाया था।।

ऋषियों की सब शक्ति ज्योति में, शक्तिपात कराया।

उन्नीस सौ छब्बीस बसंत को,वह पावन दिन आया।

 

महापुरश्चरणों से गुरुवर ने,दिव्य प्रवाह फैलाया था।

प्रचंड साधना करके उनने,दिव्य प्रभा विकसाया था।।

गुरुवर ने तप-स्नेह से सींचा, गायत्री परिवार बनाया।

उन्नीस सौ छब्बीस बसंत को,वह पावन दिन आया।।

 

अखंड दीप के दिव्य प्रकाश से,चहुँदिश आलोकित है।

अज्ञान तिमिर से लड़ता जाता,अहर्निश प्रकाशित है।।

युग निर्माण की नींव पड़ी जब, दीप अखंड जलाया।

उन्नीस सौ छब्बीस बसंत को,वह पावन दिन आया।।

-उमेश यादव

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