*अभी न शादी करना बाबा*
अभी खेलने के दिन मेरे,चिड़ियों के संग उड़ना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
मेरे खिलौनों का क्या होगा, गुडिया कैसे सोएगी।
मेरे बगैर दुखी होगी वह, फूट फूट करके
रोएगी।।
तुझे फिकर भले ना मेरी,इनके बिन न रहना
चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
खेल खिलौना ही है जीवन,स्कूल भी ना जा पाती हूँ।
चलते हुए कदम हिलते हैं,नहीं स्वयं से
खा पाती हूँ।।
समझ नहीं है सही गलत का,अपने पैरों
चलना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा, अभी ना डोली
चढ़ना चाहूँ।।
कलि हूँ मैं पुष्प बनूँगी,खिलने दो
अपनी बगिया में।
दांत दूध के भी न टूटे,छुपने दो माँ की
अंगिया में।।
अभी नहीं दुनिया देखी है,पढ़ लिखकर मैं
बढ़ना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
पीले हाथ करो मत बाबा,घर का कर्ज
उतारूंगी।
बचपन मेरा मत छीनो, मैं परिवार
सवारुंगी।।
खूंटे से मत बांधो बाबा,नभ से ऊँचा
चढ़ना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
कच्ची मटकी हूँ माटी की, पकी नहीं अभी
खोटी हूँ।
अभी भी बुद्धि कच्ची मेरी,अभी बहुत ही छोटी हूं।।
शक्ति,विद्या और ज्ञान से, सबसे काबिल बनना
चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
-उमेश यादव 23-3-22
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