*पूज्य ऋतंभरा दीदी माँ*
धर्म संस्कृति की रक्षा को,साध्वी ने अवतार लिया।
पूज्य ऋतंभरा दीदी माँ ने,जगती पर उपकार किया।।
मातु पिता ने बाल्यकाल से,परोपकार सिखलाया था।
युगपुरुष परमानंद गुरु ने, जीवन पथ दिखलाया था।।
कठिन साधना कर दीदी ने,आत्मज्ञान साकार किया।
पूज्य ऋतंभरा दीदी माँ ने,जगती पर उपकार किया।।
अथाह सिन्धु करुणा की देवी,मातृ भाव विकसाती हैं।
भाव शून्य हो रहे मनुज पर, स्नेह सुधा बरसातीं हैं।।
दिव्य वाणी से मरू हृदय में, मानवता साकार किया।
पूज्य ऋतंभरा दीदी माँ ने,जगती पर उपकार किया।।
हिंदुत्व हमारी जीवन शैली, दीदी माँ का पैगाम है।
वात्सल्य मूर्ति, करुणा की देवी, बहुमुखी आयाम हैं।।
प्रखर विचारों से माता ने, संस्कृति का प्रचार किया।
पूज्य ऋतंभरा दीदी माँ ने,जगती पर उपकार किया।।
-उमेश यादव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें