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रविवार, 11 दिसंबर 2022

मत हो निराश ओ मानव @Umeshpdadav


मत हो निराश ओ मानव

मत हो निराश ओ मानव तू संघर्षों से मत घबरा जाना

मत हो हताश ओ मानव तू, है शेष अभी मंजिल पाना।।

 

सीखो तुम उस खग से जो,तिनकों से नीड़ बनाता है

बीन बीन कर मेहनत से, सपनों का गेह सजाता है।।

बस एक तुफान के आने से हो जाता नष्ट आशियाना

मत हो हताश ओ मानव तू, है शेष अभी मंजिल पाना।।

 

कुछ पल होता है उदास फिर,मन में नव साहस भरता 

पता नहीं किसके कहने से दृढ़ निश्चय फिर से करता।।

संकल्प और इच्छाशक्ति से, नया नीड़ फिर बन जाना

मत हो हताश ओ मानव तू, है शेष अभी मंजिल पाना।।

 

मंजिल तुम्हें मिलेगी निश्चित,श्रम के आराधक बन जाओ

आसमान से ऊपर उठकर, मिले लक्ष्य साधक बन जाओ।।

साहस और उत्साह जगाकर, कठिन लक्ष्य तक है जाना

मत हो हताश ओ मानव तू, है शेष अभी मंजिल पाना।।

उमेश यादव 22-11-22

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