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रविवार, 11 दिसंबर 2022

प्रगति चक्र वाहक नारी @Umeshpdadav


प्रगति चक्र वाहक नारी

प्रगति चक्र वाहक हैं नारी, कीर्तिमान भी गढ़ सकती हैं।

मर्यादा में रहकर नारी, लक्ष्य शिखर पर चढ़ सकती हैं।।

 

अबला नहीं सबल हैं नारी, जगती की पोषक पालक हैं। 

अपनी शक्ति से विवेक से, अपने कुनबे की चालक हैं।।

सतत प्रयास करके नारी, सुसंस्कृत संतति गढ़ सकती हैं। 

मर्यादा में रहकर नारी, लक्ष्य शिखर पर चढ़ सकती हैं।।

 

तीन पहिये की बात है पीछे, फाइटर जेट उड़ाती हैं ये।

रण भूमि में नर से आगे, रणचंडी बन छाती हैं ये।।

दुश्मन भी थर्रा जाए वह, रण कौशल भी कर सकती हैं।

मर्यादा में रहकर नारी, लक्ष्य शिखर पर चढ़ सकती हैं।।

 

स्वयं शील में रहकर अपने, बच्चों को संस्कारित करती।

श्रमशीलता मंत्र अपना कर,अपनों में श्रम का गुण भरती।।

देश धर्म संस्कृति की खातिर, अहर्निश सेवा में रहती हैं।

मर्यादा में रहकर नारी, लक्ष्य शिखर पर चढ़ सकती हैं।।

 

मातृ रूप में जगजननी हैं, महाकाली  हैं शक्ति रूप में। 

बुद्धि विवेक गायत्री माता, मनुज मात्र में भक्ति रूप में।

राष्ट्र धर्म निभाना हो तो, राष्ट्राध्यक्ष भी बन सकती  हैं।

मर्यादा में रहकर नारी, लक्ष्य शिखर पर चढ़ सकती हैं।।

-उमेश यादव


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