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सोमवार, 5 दिसंबर 2022

उजरियाव की जगरानी

 *उजरियाव की जगरानी*

याद करें इतिहास हम उनकी,जिन ने दी कुर्बानी थी।।

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।


सन उन्नीस सौ सनतावन, फिरंगियों से समर हुआ

वीरांगनाओं का सैनिक संग, युद्ध बड़ा ही प्रखर हुआ।।

गरीब दलित भारत की बेटी, वीरांगना बलिदानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

 

ब्रिटिश हुकूमत रियासतों पर,अपना धौंस जमाती थी

अधीनस्थ कर राजाओं से, मालगुजारी पाती थी।।

तरह तरह के हथकंडे कर, कब्ज़ा उन्हें जमानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

 

लखनऊ के नवाब शाह ने,राष्ट्रहित आचरण किया

फिरंगियों से लोहा लेने, सिपाहियों को शरण दिया।।

ब्रिटिश हुकूमत की चालाकी, वाजिद ने पहचानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

 

वाजिद अली शाह महल में, उदा की तैनाती थी

मक्का पासी की देवी को युद्धकला भी आती थी।।

बेगम हजरत ने उदा की बुद्धि बल पहचानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

 

हेनरी लारेंस के नेतृत्व में अंग्रेजी फौजें हारी थी

शहीद हुए मक्का पासी,ब्रिटिश फौज हत्यारी थी।।

पति के लाश पर उदा ने, प्रतिशोध की ठानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

 

चिनहट वाला हार का बदला,फिरंगियों को लेनी था।।

सिकंदर बाग़ में शरण लिए,अपनी विद्रोही सेना थी

हमला किया सोये सैनिक पर,कायरों की निशानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

  

पुरुष वेश पहनी उदा ने, गोला बारूद साथ लिए

पीपल पेड़ चढ़ी थी देवी, बन्दुक गोली हाथ लिए।।

दुर्गा बनकर टूट पड़ी थी,अद्भुत वीर बलिदानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

 

चुन चुन कर लगी मारने,ज्यों चंडी अवतार हुआ

अंग्रेजी सेना समझ न पायी,था अदृश्य प्रहार हुआ।।

अंतिम गोली तक वो लड़ी थी,अंत में दी कुर्बानी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

 

गोली खाकर हुई छलनी वो, बहादुर सेनानी थी

शौर्य और साहस की देवी,हुई शहीद मस्तानी थी।।     

कालिंग कैम्पल काँप गया उदा को दी सलामी थी

उजरियाव की उदा पासी, खूब लड़ी जगरानी थी।।

उमेश यादव

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