प्रियदर्शिनी
शैल जीजी
दिव्य
अलौकिक जीजी आपका, बहुमुखी
आयाम है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।। शत शत तुम्हें प्रणाम है।।
है
व्यक्तित्व अनोखा जीजी, सबपर प्यार
लुटातीं हैं।
भटक
रही मनुजता को दी,चलना
तुम्हीं सिखाती हैं।।
विचार
क्रान्ति के संवाहक को,श्रद्धा
सहित प्रणाम है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।।शत शत तुम्हें
प्रणाम है।।
नयी
पीढियां गढ़ने जीजी, अद्भुत
क्रान्ति कर डाली हैं।
माँ
बहने संस्कारित होकर, कोख दिव्यता
पाली हैं।।
संस्कारी
संतानों से बनता, चरित्रवान इंसान है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।।शत शत तुम्हें
प्रणाम है।।
नारी
जागृति अभियानों से, अबला भी
बलवान हुईं।
व्यसन
मुक्ति से स्वस्थ हुए तन,कुरीतियाँ
निष्प्राण हुईं।।
सत्य
सनातन संस्कारों से, जन जन का
कल्याण है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।।शत शत तुम्हें
प्रणाम है।।
शिक्षा
स्वास्थ्य साधना से, मानव मात्र निहाल हुआ।।
पर्यावरण
रक्षण अभियान से,हर प्राणी खुशहाल हुआ।।
सप्त
क्रान्ति को गतिमान कर, करती नव
निर्माण है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।।शत शत तुम्हें
प्रणाम है।।
अखंड
ज्योति के स्नेहदीप से,युगप्रवाह
जग में पहुंचाया।
अश्वमेध
से दिग्दिगंत तक, देव संस्कृति बिगुल बजाया।।
धर्म
संस्कृति ध्वजवाहक को कोटि कोटि प्रणाम है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।।शत शत तुम्हें
प्रणाम है।।
कोटि
कोटि गायत्री जन को,स्नेह सूत्र
से जोड़ा है।
युवा
वर्ग को नयी दिशा दे, सृजन राह
में मोड़ा है।।
आधी
आबादी को दीदी, दिया संजीवनी दान है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।। शत शत तुम्हें
प्रणाम है।।
घर
घर गंगाजल पहुंचाकर,घर को तीर्थ
बनाया है।
हर
चौके बलिवैश्व कराकर, यज्ञ भाव
विकसाया है।।
नवयुग
भू पर लाने वाली, शक्ति तुम्हें प्रणाम है।
प्रियदर्शिनी
शैलजीजी को, बारम्बार प्रणाम है।। शत शत तुम्हें
प्रणाम है।।
-उमेश यादव
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