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गुरुवार, 12 मई 2022
गुरुवर तेरी कृपा ने Guruwar Teri Kripa Ne #shantikunjvideo #guruwarter...
गुरुवार, 5 मई 2022
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम Chalo Re Man Shantikunj Gurudham
बुधवार, 4 मई 2022
भगवान परशुराम जयंती @PARSHURAM PARIVAR HARYANA @YouTube@Rishi Chintan @P...
भगवान परशुराम
क्षत्रियहीन किया था जग को,मेटा था अभिमान को।
नमन करें हम संस्कृति रक्षक, भार्गव परशुराम को।।
दुष्ट दलन कर धरा धाम को,पुण्य पवित्र बनाया था।
शोषण और दमन चक्र से,जग को
मुक्त कराया था।।
पुण्य कार्य है खंडित करना, अहंकार अभिमान को।
नमन करें हम संस्कृति रक्षक, भार्गव परशुराम को।।
वेद ज्ञान हों मुख में सारे,पीठ पर धनुष सजायें।
ब्रह्म शक्ति और शस्त्र शक्ति से, धर्माचरण कराएं।।
करें प्रणाम हम धर्मोद्धारक, परशुधर भगवान् को।
नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।।
थे समर्थ गुरुदेव जगत के,शस्त्र शाष्त्र के ज्ञाता थे।
धर्म चेतना अवतरित करने, अवतारी विधाता थे।।
धारण किया था परशु को,संस्कृति
के उत्थान को।
नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।।
दंभ मनुज का मिट जाता है,ब्राह्मणत्व गर जागे।
सहश्र हाथ भी काम न आते,सत्य न्याय के आगे।।
आदर्श बनाए भृगुनंदन को, धर्मरक्षक भगवान् को।
नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।।
भृगुनंदन के आदर्शों को हम, जीवन में अपनाएँ।
दुष्टों को दंड देना सीखें, सज्जन को सदा बचाएं।।
शस्त्र शास्त्र दोनों आवश्यक,होता जन कल्याण को।
नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।।
-उमेश यादव
शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022
तो समझो की ये होली है
*तो समझो की ये #होली है*
नयनों में खुमारी
छाये, साँसों में भी उष्णता आये।
अपनों से मिलने को
मन,होकर अधीर अकुलाये।।
लहरों सा हिलोरे
ले मन,तो समझो की ये होली है।।
मन मस्ती में जब डूब
जाए,गाना होठ स्वतः ही गाये।
लगे स्वयं ही
पाँव थिरकने, भावों में समरसता आये।।
सपनों में बस
साजन होंवें,तो समझो की ये होली है।।
मुश्किल हैं
दर्शन भी जिनके,स्पर्श का अवसर मिल जाए।
बिना चखे जिह्वा
भी जैसे, अमृतपान सा तृप्त हो पाए।।
बातें बिन बोले
हो जाए, तो समझो की ये होली है।।
स्वांस प्रस्वांस
में जब भी, खुशबु चन्दन जैसी आये।
मदमस्त मगन मन को
कोई,केवल एक नाम ही भाये।।
सतरंगों की हो शीतल
फुहार,तो समझो की ये होली है।।
जब तुम खोलो मन
के द्वार,खड़े प्रियतम होवें उस पार।
प्रेम की ऐसी
गंगा बह जाए, डूब जाए उसमें संसार।।
जुड़ जाएँ जब
भावों के तार,तो समझो की ये होली है।।
-उमेश
यादव
अभी न शादी करना बाबा
*अभी न शादी करना बाबा*
अभी खेलने के दिन मेरे,चिड़ियों के संग उड़ना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
मेरे खिलौनों का क्या होगा, गुडिया कैसे सोएगी।
मेरे बगैर दुखी होगी वह, फूट फूट करके
रोएगी।।
तुझे फिकर भले ना मेरी,इनके बिन न रहना
चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
खेल खिलौना ही है जीवन,स्कूल भी ना जा पाती हूँ।
चलते हुए कदम हिलते हैं,नहीं स्वयं से
खा पाती हूँ।।
समझ नहीं है सही गलत का,अपने पैरों
चलना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा, अभी ना डोली
चढ़ना चाहूँ।।
कलि हूँ मैं पुष्प बनूँगी,खिलने दो
अपनी बगिया में।
दांत दूध के भी न टूटे,छुपने दो माँ की
अंगिया में।।
अभी नहीं दुनिया देखी है,पढ़ लिखकर मैं
बढ़ना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
पीले हाथ करो मत बाबा,घर का कर्ज
उतारूंगी।
बचपन मेरा मत छीनो, मैं परिवार
सवारुंगी।।
खूंटे से मत बांधो बाबा,नभ से ऊँचा
चढ़ना चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
कच्ची मटकी हूँ माटी की, पकी नहीं अभी
खोटी हूँ।
अभी भी बुद्धि कच्ची मेरी,अभी बहुत ही छोटी हूं।।
शक्ति,विद्या और ज्ञान से, सबसे काबिल बनना
चाहूँ।
अभी न शादी करना बाबा,अभी ना डोली चढ़ना
चाहूँ।।
-उमेश यादव 23-3-22
उम्र से पहले शादी
*उम्र से पहले शादी*
उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार
किया है।
घर वालों ने बोझ समझकर,आंसू का उपहार
दिया है।।
खेल खिलौने थे हाथों में,हथकड़ियों से हैं
चुडे कंगन ।
हँसते थे उन्मुक्त हंसी अब,रस्म
रिवाजों के हैं बंधन।।
काजल से ना शोभित आँखें,अविरल अश्रु
धार दिया है।
उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार
किया है।।
रिश्ते नातों का बंधन है, कैसे इसे
निभाउंगी मैं।
घूँघट में अपने सपनों को,कैसे सच कर
पाउंगी मैं।।
टूट गए हैं सारे सपने,अपनों ने ही प्रहार
किया है।
उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार
किया है।।
कच्ची माटी की गगरी हूँ,सृजन कलश क्या
ढो पाउंगी।
नयी सृष्टि से पहले ही मैं, कच्ची काया
ढह जाउंगी।।
कलियों को तोड़ा अपनों ने,पुष्पों का
संहार किया है।
उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार
किया है।।
पढ़ने और बढ़ने के दिन थे,अरमानों को तोड़
दिया है।
चूल्हा चौका करती हूँ अब,सपनों ने संग
छोड़ दिया है।।
पंक्षी को उड़ने से पहले, ही पिंजरे में
डार दिया है।
उम्र से पहले शादी करके,मुझपर अत्याचार
किया है।।
-उमेश
यादव
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को
दर्शन मात्र से सिद्ध हो जाते, बिगड़े सारे काम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
गुरुवर ने प्रचंड तप करके,ज्योति सिद्ध कराया।
माताजी ने स्नेह बाती दे, दीप अखंड जलाया।।
ऋषियों के तप की उर्जा से,है यह ललित ललाम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
दर्शन से सुख पाते मानव, दिव्य शान्ति हैं पाते।
सम्मुख आकर व्यथा वेदना,कष्ट सभी मिट जाते।।
प्रतिपल शक्ति प्रवाहित होता,भरता है नव प्राण।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
दिव्य दीप को नमन करें हम,सुख सौभाग्य जगाएं।
अंतस में तप की उर्जा ले, मन वांछित फल पायें।।
दिव्य भाव भर देता है उर में,मन होता निष्काम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
जनम जनम के पाप ताप को,पल में ये हर लेता।
इसकी पावन ज्योति से प्राणी,भवसागर तर लेता।।
नमन करें श्रद्धा सहित हम, दंडवत करें प्रणाम।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।।
-उमेश यादव
महावीर बजरंग बली(new)
*महावीर बजरंग बली*(new)
महावीर बजरंग बली, श्री राम दूत का अभिनन्दन है।
दुष्टदलन,दुःख-कष्ट हरण,श्री हनुमान का
शुभ वंदन है।।
दुष्टों के प्रभु सदा काल हैं, महाकाल के अवतारी हैं।
संतों के रक्षक हैं हरपल, भक्तों के ह्रदय बिहारी
हैं।।
जहाँ कहीं भी अन्धकार है,सूर्य समान पथ द्योतक हैं।
बल बुद्धि विद्या के सागर हैं,आप ही संकटमोचक हैं।।
हर संकट के समाधान हैं,शुभ कार्य को हरि चन्दन हैं।
महावीर बजरंग बली, श्री राम दूत का अभिनन्दन है।।
मनुजता जब भी फंसी भँवर में,हनुमन ने हमें उबारा है।
भ्रम व भय से मुक्ति दिलाया,साहस दे हमें संवारा है।।
सेवा धर्म ही श्रेष्ठ धर्म है, हनुमत ने जीकर सिखलाया।।
सेवा से श्री राम प्रसन्न हो, जाते हैं जग को बतलाया।
प्रभुसेवक केसरीनंदन का,पवनसुत का अभिवंदन है।
महावीर बजरंग बली, श्री राम दूत का अभिनन्दन है।।
नयी विपदा आई जग में, आप ही अब उपचार करो।
अतिसूक्ष्म है असुर आज का, प्रभु इसका संहार करो।।
संकट में है प्राण मनुज के, संजीवन दे उपचार करो।
अभयदान दो भक्तों को प्रभु,हम सब पर उपकार करो।।
आस और विश्वास कपिवर, आपका ही चरण वंदन है।
महावीर बजरंग बली, श्रीराम दूत का अभिनन्दन
है।।
महायुद्ध से त्रसित विश्व है,अंजनी पुत्र कल्याण करो।
आतताइयों को दण्डित कर,मानवता का उत्थान करो।।
रोको जग को महायुद्ध से, प्रभु जग पर उपकार करो।
विपदाओं से ग्रसित विश्व है, हे कपीश उद्धार करो।।
केसरीनंदन वायुपुत्र के, जन्मदिवस पर अभिनन्दन है।
दुष्टदलन,दुःख-कष्ट हरण,श्री हनुमान का
शुभ वंदन है।।
-उमेश यादव
अखंड दीप के दर्शन से
*अखंड दीप के दर्शन से*
अखंड
दीप के दर्शन से मिटता मन का अंधियारा है।
इसकी
दिव्य ज्योति ने जग में फैलाया उजियारा है।।
जप
ध्यान का लाभ सहज ही,दर्शन से मिल जाता है।
दान
पुण्य परमार्थ धर्म का, भाव प्रबल हो जाता है।।
भटकावों
से हमें बचाता, सत्पथ का दीप सहारा है।
अखंड
दीप के दर्शन से, मिटता मन का अंधियारा है।।
जीवन
से अज्ञान हटाकर, ज्ञान के दीप जलाता है।
अंध
तमस को दूर भगा, सौभाग्य सूर्य उगाता है।।
कोटि
कोटि मानुष का इसने,जीवन मार्ग संवारा है।
अखंड
दीप के दर्शन से,मिटता मन का अंधियारा है।।
ज्योति
के सम्मुख होते ही, पाप भष्म हो जाते हैं।
भव
बंधन से मुक्ति का, सन्मार्ग सहज ही पाते हैं।।
अखंड
ज्योति का दर्शन पाना, सुख सौभाग्य हमारा है।
अखंड
दीप के दर्शन से,मिटता मन का अंधियारा है।।
अज्ञान
ग्रषित वसुधा को इनने,ज्ञान मार्ग दिखालाया।
प्रेम
शांति सद्भाव हो जग में, विश्व परिवार बनाया।।
भटक
रहे मानवता को, इस दीपक ने पुनः उबारा है।
अखंड
दीप के दर्शन से, मिटता मन का अंधियारा है।।
-उमेश
यादव