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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

तो समझो की ये होली है

 

*तो समझो की ये #होली है*

नयनों में खुमारी छाये, साँसों में भी उष्णता आये

अपनों से मिलने को मन,होकर अधीर अकुलाये।।

लहरों सा हिलोरे ले मन,तो समझो की ये होली है।।

 

मन मस्ती में जब डूब जाए,गाना होठ स्वतः ही गाये

लगे स्वयं ही पाँव थिरकने, भावों में समरसता आये।।

सपनों में बस साजन होंवें,तो समझो की ये होली है।।

  

मुश्किल हैं दर्शन भी जिनके,स्पर्श का अवसर मिल जाए

बिना चखे जिह्वा भी जैसे, अमृतपान सा तृप्त हो पाए।।

बातें बिन बोले हो जाए, तो समझो की ये होली है।।

 

स्वांस प्रस्वांस में जब भी, खुशबु चन्दन जैसी आये

मदमस्त मगन मन को कोई,केवल एक नाम ही भाये।।

सतरंगों की हो शीतल फुहार,तो समझो की ये होली है।।

 

जब तुम खोलो मन के द्वार,खड़े प्रियतम होवें उस पार

प्रेम की ऐसी गंगा बह जाए, डूब जाए उसमें संसार।।

जुड़ जाएँ जब भावों के तार,तो समझो की ये होली है।।

-उमेश यादव