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बुधवार, 18 जनवरी 2023

शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर

 

*शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर

 

शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।

बसंत पर्व पर शांतिकुंज से, नव चेतन विस्तार हुआ है।।

 

कोमल गुलाब की पंखुडियां, सद्गुण सुवास फैलातीं है।

मतवाली  कोयल की तानें, वेद ऋचा कह जाती हैं।।

पुष्पित-सुरभित, हर फुनगी, माता के गान सुनातीं हैं।

मधुकीटों की गुंजार सुनो,गुरुवर के स्वर में गातीं है।।

जड़-चेतन में, हर कण-कण में,वासंती व्यव्हार हुआ है।

शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।।

 

शीतल मंद समीरण से, अभिनंदन की तैयारी है।

गंगा की कल-कल,छल-छल,शुभवंदन की तैयारी है।।

लता-विटप-खग-मधुकर ने,आदर से शीश नवाए हैं।

गायत्री के हर परिजन ने, नवप्रण ले दीप जलाए हैं।।

संत,ऋषि, मुनियों देवों का, मनुजों पर उपकार हुआ है।

शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।।

 

गणतंत्र दिवस पावन बासन्ती, राष्ट्र प्रेम जगाता है।

परिताप दैन्य मिट जाते हैं, देवत्व प्रबल हो जाता है।।

शांतिकुंज चैतन्य तीर्थ में, जो चाहो मिल जाता हैं।

अखंड दीप का पावन दर्शन,सुख सौभाग्य जगाता है।।

परम पूज्य के कृपा दृष्टि से,शिष्यों का उद्धार हुआ है।

शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।।

-उमेश यादव

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