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मंगलवार, 10 जनवरी 2023

गुरुवर के जीवन दर्शन को (सत्संकल्प)

*गुरुवर के जीवन दर्शन को (सत्संकल्प)*

गुरुवर के जीवन दर्शन को,जो जीवन में अपनाएगा।
गुरु का अनुशासन जो पाले, वही शिष्य कहलायेगा।।
निर्मल मन होगा जिस नर का,गुरु प्यार वह पायेगा।

हर प्राणी में वास प्रभु का,घट घट वही समाया है।
करता है वह न्याय सदा,सब पर उसकी ही माया है।।
ईश्वर का अनुशासन पाले जो, वही भक्त कहलायेगा।।
निर्मल मन होगा जिस नर का,गुरु प्यार वह पायेगा।।

यह शरीर ईश्वर का घर है,मंदिर इसे बनाना है।
संयम सेवा और साधना, जीवन में अपनाना है।।
कुविचार और दुर्भावों को, मन से दूर भगाएगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।

स्वाध्याय सत्संग करेंगे, मर्यादा अपनाएंगे।
कर्तव्यों से प्यार करेंगे,समाजनिष्ठ कहलायेंगे।।
वर्जनाओं से बचा रहे जो,बहादुर कहलायेगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।

नीति न्याय से जीवन जीता,समझ बूझ अपनाता है।
दशों दिशा में स्वर्ग जैसा ही, वातावरण बनाता है।।
परहित में जीवन जिए जो, परमवीर कहलायेगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।

अपना भाग्य बनाकर हम,औरों को श्रेष्ठ बनायेंगे।
अगर श्रेष्ठ बन पायें हम तो, सतयुग भूपर लायेंगे।।
भेदभाव हटाकर भारत, श्रेष्ठ राष्ट्र बन पायेगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।
 
सर्वश्रेष्ठ है मानव जीवन,यह गुरु ने बतलाया है।
हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, यह सबको सिखलाया है।।
स्वयं बदल जो युग बदलेगा, क्रान्ति वीर कहलायेगा।।
निर्मल मन होगा जिस नर का,गुरु प्यार वह पायेगा।।
-उमेश यादव

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