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शनिवार, 21 जनवरी 2023

नवयुग वसंत है आया

नवयुग वसंत है आया

स्वर्ण शस्य धरती का आँचल,खग कलरव मन भाया। 

हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।। 


चारु चंद्रमा विभा मनोरम,छटा बिखेरे अवनी पर।

फूल खिले हैं वर्ण वर्ण के, कौतुक छाया नवनी पर।।

झूम रही अलसी की बगिया,तृण हरित मन भाया।

हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।। 


गूंज रहे हैं पंचम में भृंग, मुकुल मकरंद सुगन्धित।

खग वृन्द उन्मुक्त व्योम, दूर्वा अमृतद्रव सिंचित।।

है रसाल मंजरित उपवन, कोकिल नवराग सुनाया।

हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।। 


पवन मंद आनंद तरु उर, मस्ती में झूम रहे हैं।

शीत नीहार,जाड़ा तुषार, भास्वर से धुंध छंटे हैं।।

सभी इन्द्रियां जाग्रत हैं,  बासंती धूप खिल आया।

हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।। 


ऐसा रास रचा शिल्पी ने,प्रस्तर प्रतिमा है प्राणित।

युगों युगों की तन्द्रा तोड़ी, गुरुपद से है साधित।।

हिमनिंद्रा में जड़ित मनुज को, केशरिया रंगवाया।

हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।। 


देवी प्रज्ञा की अगवानी, भास्कर आज गगन में। 

नत मस्तक सब जड़ चेतन हैं,वागीश्वरी शरण में।। 

नवयुग का अभिनन्दन करने,सर्वत्र वसंत है छाया।`

हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।। 

-उमेश यादव 21 जनवरी 2023

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