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सोमवार, 13 फ़रवरी 2023
हम कथा सुनाते शान्तिकुञ्ज युगधाम की | प्रज्ञा गीत २०२३ | pragya geet 2023
holi
रविवार, 5 फ़रवरी 2023
गिरिडीह अति प्यारा है
गिरिडीह अति प्यारा है
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।
गिरि शिखरों से शोभित प्यारा, पावन भूमि हमारा है।।
है प्राचीन इतिहास जिले का, जैन धर्म का खास रहा।
सम्मेत शिखर पारसनाथ का,मधुबन का इतिहास रहा।।
चौबीस में से बीस तीर्थंकरों, को निर्वाण से वारा है।
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।।
झारखंड धाम अति पावन, शिव की महिमा न्यारी है।
पूरन करते मनोकामना, शिव भोले भण्डारी हैं।।
झारखंड शिव की महिमा से,समृद्ध राज्य हमारा है।
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।।
हरिहर धाम बगोदर में शिव, का स्वरूप मनभावन है।
खरगडीहा के लँगटा बाबा, की समाधि अति पावन है।।
दुखिया महादेव दुख हरते, दुखियों के वही सहारा हैं।
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।।
खनिजों का भंडार यहाँ पर, कोयला अभ्रक माणिक है।
झारखंड बाबा धाम यहाँ पर,जिनका महत्व पौराणिक है।।
खंडौली,उसरी प्रयटन स्थल का,अद्भुत दिव्य नजारा है।
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।।
वैज्ञानिक सर जे सी बोस का यहाँ से गहरा नाता था।
शोध प्रबंध किए यहाँ से,विज्ञान भवन इन्हें भाता था।।
वैज्ञानिक दुनिया में बोस से, जगमग राष्ट्र हमारा है।
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।।
गायत्री की दिव्य चेतना, गिरिडीह में ज्योतित है।
गायत्री मंदिर, प्रज्ञापीठ से,सम्पूर्ण क्षेत्र आलोकित है।।
हर मन में सद्भाव जगाता,गायत्री परिवार हमारा है।
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।।
आओ सब मिल गिरिडीह को,सबसे श्रेष्ठ बनाएं हम।
भक्ति ज्ञान संस्कृति का आलोक सर्वत्र फैलाएं हम।।
यही जन्मभूमि हम सबका, यह प्राणों से प्यारा है।
स्वर्ग सी सुंदर धरती अपनी, गिरिडीह अति प्यारा है।।
-उमेश यादव
छवि तेरी नैनों में रह गई
छवि तेरी नैनों में रह गई
पलभर का वो मिलन हमारा, पलकें अनकह बात कह गई।
पता नहीं फिर से कब मिलिहैं, छवि तेरी नैनों में रह गई।।
मंद मंद मुस्कान तुम्हारा, वो मधुर कोकिल सी वाणी।
नयनों के अंजन ने बोला, जन्म जन्म की राम कहानी।।
मुखमंडल की भाव भंगिमा,उर में फिर उपताप भर गई।
पता नहीं फिर से कब मिलिहैं, छवि तेरी नैनों में रह गई।।
चपल चितेरे हुलसित मनवाँ,स्मित हास्य अंतर्मन छूतीं।
अलक कान्ति को छूकर वायु, मानों मौन आमंत्रण देतीं।।
स्पर्श मात्र क्षणांश को पाकर, मन के सारे गाद बह गई।
पता नहीं फिर से कब मिलिहैं, छवि तेरी नैनों में रह गई।।
सहर सकार हुआ है अब तो, प्राची से दिनकर भी आया।
खग कलरव चहुं ओर अनाहद, जागृति का उन्नाद सुनाया।।
शबनम से सिंचित हिय गुलशन,सुप्त सृजन जग जागृत कर गई।
पता नहीं फिर से कब मिलिहैं, छवि तेरी नैनों में रह गई।
मंगलवार, 31 जनवरी 2023
*सीएम चाचू आये, बड़े भाग हमारे*
*सीएम
चाचू आये, बड़े
भाग हमारे*
सीएम
चाचू आये, बड़े
भाग हमारे।
खुशियाली आयी, जो आप पधारे।।
सीएम
चाचू आये, बड़े
भाग हमारे।।
घर घर में पानी को नल लगवाए।
गाँव गाँव पीने का जल पहुंचाए।।
नशामुक्त राज्य किये, भाग्य सँवारे।
सीएम
चाचू आये, बड़े
भाग हमारे।।
खुशियाली आयी, जो आप पधारे।।
जल संचय से चहुँ ओर हरियाली।
बाल विवाह न अब पढ़ती हैं लाली।।
जन जन में पहुंचा है ज्ञान उजारे।
सीएम
चाचू आये, बड़े
भाग हमारे।।
खुशियाली आयी, जो आप पधारे।।
जागरूक हैं सब है खुशियाँ छाई।
अफसर में कर्मों की भावना आई।।
समस्या का समुचित निदान विचारे।
सीएम
चाचू आये, बड़े
भाग हमारे।।
खुशियाली आयी, जो आप पधारे।।
श्रेष्ठ राज्य अपना बिहार बनेगा।।
राजनीति शुद्ध ईमानदार बनेगा।।
स्वर्ग जैसा अपना बिहार बना रे।
सीएम
चाचू आये, बड़े
भाग हमारे।।
खुशियाली आयी, जो आप पधारे।।
-उमेश यादव
शनिवार, 21 जनवरी 2023
नवयुग वसंत है आया
नवयुग वसंत है आया
स्वर्ण शस्य धरती का आँचल,खग कलरव मन भाया।
हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।।
चारु चंद्रमा विभा मनोरम,छटा बिखेरे अवनी पर।
फूल खिले हैं वर्ण वर्ण के, कौतुक छाया नवनी पर।।
झूम रही अलसी की बगिया,तृण हरित मन भाया।
हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।।
गूंज रहे हैं पंचम में भृंग, मुकुल मकरंद सुगन्धित।
खग वृन्द उन्मुक्त व्योम, दूर्वा अमृतद्रव सिंचित।।
है रसाल मंजरित उपवन, कोकिल नवराग सुनाया।
हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।।
पवन मंद आनंद तरु उर, मस्ती में झूम रहे हैं।
शीत नीहार,जाड़ा तुषार, भास्वर से धुंध छंटे हैं।।
सभी इन्द्रियां जाग्रत हैं, बासंती धूप खिल आया।
हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।।
ऐसा रास रचा शिल्पी ने,प्रस्तर प्रतिमा है प्राणित।
युगों युगों की तन्द्रा तोड़ी, गुरुपद से है साधित।।
हिमनिंद्रा में जड़ित मनुज को, केशरिया रंगवाया।
हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।।
देवी प्रज्ञा की अगवानी, भास्कर आज गगन में।
नत मस्तक सब जड़ चेतन हैं,वागीश्वरी शरण में।।
नवयुग का अभिनन्दन करने,सर्वत्र वसंत है छाया।`
हर्ष भरा है सबके मन में, युग वसंत शुभ आया।।
-उमेश यादव 21 जनवरी 2023
बुधवार, 18 जनवरी 2023
शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर
*शिखर हिमाद्रि से वसुधा पर
शिखर
हिमाद्रि से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।
बसंत
पर्व पर शांतिकुंज से, नव चेतन विस्तार हुआ है।।
कोमल
गुलाब की पंखुडियां, सद्गुण सुवास फैलातीं है।
मतवाली कोयल की तानें, वेद ऋचा कह जाती हैं।।
पुष्पित-सुरभित, हर फुनगी, माता के गान सुनातीं हैं।
मधुकीटों
की गुंजार सुनो,गुरुवर के स्वर में गातीं है।।
जड़-चेतन
में, हर कण-कण में,वासंती व्यव्हार हुआ है।
शिखर हिमाद्रि
से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।।
शीतल मंद
समीरण से, अभिनंदन की तैयारी है।
गंगा की
कल-कल,छल-छल,शुभवंदन की तैयारी है।।
लता-विटप-खग-मधुकर
ने,आदर से शीश नवाए हैं।
गायत्री
के हर परिजन ने,
नवप्रण
ले दीप जलाए हैं।।
संत,ऋषि, मुनियों देवों का, मनुजों पर उपकार हुआ है।
शिखर
हिमाद्रि से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।।
गणतंत्र
दिवस पावन बासन्ती, राष्ट्र प्रेम जगाता है।
परिताप
दैन्य मिट जाते हैं, देवत्व प्रबल हो जाता है।।
शांतिकुंज
चैतन्य तीर्थ में, जो चाहो मिल जाता हैं।
अखंड दीप
का पावन दर्शन,सुख सौभाग्य जगाता है।।
परम
पूज्य के कृपा दृष्टि से,शिष्यों का उद्धार हुआ है।
शिखर
हिमाद्रि से वसुधा पर,दिव्य प्राण संचार हुआ है।।
-उमेश
यादव
वासंती परिधान
*वासंती परिधान*
ऋतुराज कुसुमाकर आया,
वासंती
परिधान में।
जुटे हैं साधक पीत वसन में,नवयुग के निर्माण में।।
गायत्री परिवार जुटा है, नवयुग के निर्माण में।।
नयी सुबह है,नयी किरण है,
नया भोर है नया चमन है।
नए पुष्प और नयी कली से,
महका शांतिकुञ्ज उपवन है।।
नयी क्रांति के संग चले नवयुग के नए विहान में।
गायत्री परिवार जुटा है, नवयुग के निर्माण में।।
शीतल सौम्य समीर सुवासित,
घर का आँगन स्वर्ग बना है।
सुरभित मरुत चहुँदिश फैला,
मन का प्रांगन पुलक उठा है।।
कदम मिलाकर साथ चलेंगे विचार क्रांति अभियान में।
गायत्री परिवार जुटा है, नवयुग के निर्माण में।।
नयी चेतना नवल प्राण ले,
गूंज रहे मधुकर उपवन में।
थिरक रहे मन प्राण हमारे,
है उमंग हरेक जन मन में।।
नवयुग पुनः प्रतिष्ठित कर दें, फिर से इसी जहान में।
गायत्री परिवार जुटा है, नवयुग के निर्माण में।।
रंग बिरंगे पुष्प खिले हैं,
दिव्य तीर्थ के प्रांगण में।
वासंती उल्लास जगा है,
जोश भरा है तन मन में।।
युवा शक्ति का आवाहन है,जुटें राष्ट्र उत्थान में।
गायत्री परिवार जुटा है, नवयुग के निर्माण में।।
जुटे हैं साधक पीत वसन में,नवयुग के निर्माण में।।
-उमेश यादव
ऋतु बसंत है आया
ऋतु बसंत है आया
ऋतु बसंत है आया, प्रेरक
उमंग है
लाया।
नवल शक्ति से,नव्य प्राण दे,नव संकल्प जगाया।।
झूम रहा है रोम-रोम तन, मन भी आज हर्षित है।
कण कण में उल्लास भरा,जड़ चेतन
आकर्षित है।।
शांतिकुंज के हर जन मन में, दिव्य भाव है छाया।
नवल शक्ति से, नव्य प्राण दे,
नव संकल्प जगाया।।
थिरक रहा है अंग अंग
सुन, थापें अब गुरुवर के।
मन कोकिला चहकती है बस, माताजी के स्वर से।।
साँसों में
प्रभु तुम्हीं बसे हो, तुझमें प्राण समाया।
नवल शक्ति से, नव्य प्राण दे,
नव संकल्प जगाया।।
सौरभ-सुरभित दसो दिशायें, रम्य अलौकिक पावन।
किसलय कोंपल पुष्पित-पल्लवित, नैसर्गिक मनभावन।।
ज्ञान, कला, संगीत सुशोभित, रंग बासंती छाया।
नवल शक्ति से, नव्य प्राण दे,
नव संकल्प जगाया।।
गुरु के स्वर को कर्ण आतुर, गुरुवर मार्ग दिखाओ।
मन मयूर नर्तन करता है, नट हो आप नचाओ।।
श्रधेय-द्वय के स्नेह प्यार से, दिव्य उछाह है छाया।
नवल शक्ति से, नव्य प्राण दे,
नव संकल्प जगाया।।
-उमेश यादव
गुरुवर के जीवन दर्शन को (सत्संकल्प)
*गुरुवर के जीवन दर्शन को (सत्संकल्प)*
गुरुवर के
जीवन दर्शन को,जो जीवन में
अपनाएगा।
गुरु का
अनुशासन पाले जो, वही शिष्य कहलायेगा।।
निर्मल मन
होगा जिस नर का,गुरु प्यार
वह पायेगा।
हर प्राणी
में वास प्रभु का,घट घट वही समाया है।
करता है वह
न्याय सदा,सब पर उसकी ही माया है।।
ईश्वर का
अनुशासन पाले जो, वही भक्त कहलायेगा।।
निर्मल मन
होगा जिस नर का,गुरु प्यार
वह पायेगा।।
यह शरीर
ईश्वर का घर है,मंदिर इसे
बनाना है।
संयम सेवा
और साधना, जीवन में
अपनाना है।।
कुविचार और
दुर्भावों को, मन से दूर
भगाएगा।
स्वयं बदलकर
युग बदलेगा,वही शिष्य
कहलायेगा।।
स्वाध्याय
सत्संग करेंगे, मर्यादा
अपनाएंगे।
कर्तव्यों
से प्यार करेंगे,समाजनिष्ठ
कहलायेंगे।।
वर्जनाओं से
बचा रहे जो,बहादुर
कहलायेगा।
स्वयं बदलकर
युग बदलेगा,वही शिष्य
कहलायेगा।।
नीति न्याय
से जीवन जीता,समझ बूझ
अपनाता है।
दशों दिशा
में स्वर्ग जैसा ही, वातावरण बनाता है।।
परहित में
जीवन जिए जो, परमवीर
कहलायेगा।
स्वयं बदलकर
युग बदलेगा,वही शिष्य
कहलायेगा।।
अपना भाग्य बनाकर
हम,औरों को श्रेष्ठ बनायेंगे।
अगर श्रेष्ठ
बन पायें हम तो, सतयुग भूपर लायेंगे।।
भेदभाव हटाकर
भारत, श्रेष्ठ राष्ट्र बन पायेगा।
स्वयं बदलकर
युग बदलेगा,वही शिष्य
कहलायेगा।।
सर्वश्रेष्ठ
है मानव जीवन,यह गुरु ने
बतलाया है।
हम सुधरेंगे
युग सुधरेगा, यह सबको
सिखलाया है।।
स्वयं बदल जो युग बदलेगा, क्रान्ति वीर
कहलायेगा।।
निर्मल मन
होगा जिस नर का,गुरु प्यार
वह पायेगा।।
-उमेश यादव
माता भगवती की महिमा का
*माता भगवती की महिमा का*
अवतरित हुई हैं महाशक्ति, हम उनकी बात बताते हैं।।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
नवयुग का निर्माण धरा पर,गुरुवर ने संकल्प लिया।
शक्ति स्वरूपा माताजी ने,युग निर्माण प्रकल्प दिया।।
स्वर्ग धरा पर आये कैसे, गुरुवर ही हमें बताते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
सूर्य चन्द्र ब्रह्माण्ड जगत सब, माता की ही माया है।
महाकाल के कालचक्र माँ ने गतिमान कराया है।।
हर प्राणी की पालक पोषक, माँ की बात बताते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
शक्ति के अवतरण वर्ष में, नादब्रह्म जब ध्वनित हुई।
जसवंत राव शर्मा के घर में, माताज़ी अवतरित हुई।।
राम प्यारी की लाली की, लीलामृत पान कराते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
बाल्य काल से ही माताजी,शिव चिंतन में लीन हुई।
महाकाल से महामिलन को, महाशक्ति तल्लीन हुई।।
शिव साधिका महाशक्ति की, साधन ध्यान बताते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
कठिन तपस्या की गुरुवर ने, माँ ने साथ निभाया था।
जौ की रोटी,छांछ बनाकर,
माँ ने साथ में खाया था।।
प्रकृति-पुरुष के कठिन साधना, का वृतांत बताते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
ॐ, दया, श्रद्धा की पालक, जग को प्यार लुटातीं हैं।
शतीश, शैल की माताजी ही, जग माता कहलातीं है।।
हर प्राणी में स्नेह जगातीं, माँ की बात बताते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
एक सूत्र में बाँधा माँ ने, गायत्री परिवार बनाया।
गुरुवर के हर अभियानों को,माँ ने ही साकार कराया।।
विश्व क्रांति की अधिपति माते,को हम शीश नवाते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
सबका भाग्य बनाने वाली,सुख सौभाग्य जगाती हैं।
प्राणी मात्र को संवेदन का, अमृत पान कराती हैं।।
प्रेम दया करुणा ममता की छांव हम माँ से पाते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
नारी जागृति अभियानों का, माँ ने शंख बजायी थी।
देवकन्याओं को शिक्षण दे, नारी शक्ति जगाई थी।।
नारी के गौरव गरिमा की, जागृति गान सुनाते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
अश्वमेध यज्ञों से माँ ने, जग में अलख जगाया है।
देव संस्कृति विजय पताका,चहुँ दिशि फहराया है।।
दिव्य अलौकिक छवि माता की,सादर शीश झुकाते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
हर प्राणी में तुम हो माता,अन्नपूर्णा अन्नदाता हो।
स्नेह सुधारस पान कराती,अखिल विश्व की माता हो।।
प्यार तुम्हारा पाकर माते, सहज तृप्ति पा जाते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
भटक रहे मनुज को माँ ने, सही मार्ग दिखलाया है।
मानवता के श्रेष्ठ धर्म को, पालन भी करवाया है।।
हम बदलेंगे युग बदलेगा,
मंत्र यही अपनाते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।
सुख को बांटो दुःख बंटाओ,माँ ने हमें बताया है।
मिल बांटकर खाओ रोटी, माँ ने ही सिखलाया है।।
स्नेह प्रेम वात्सल्य की देवी, का कर्तृत्व बताते हैं।
माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।। -उमेश यादव