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मंगलवार, 10 जनवरी 2023

स्वागत करेंगे नवल वर्ष का हम

 

*स्वागत करेंगे नवल वर्ष का हम*

 

शुभकामनायें नए वर्ष पर है,

नवीन स्वर में गुनगुनाना पड़ेगा।

सवेरा नया हो रहा है जगत में,

खोल चंचु हमें चहचहाना पड़ेगा।।

 

नवल वर्ष में अब नयी तान छेड़ो,

नए गीत फिर से रचाना पड़ेगा।

नवल वर्ष का हम सुस्वागत करें,

आज समवेत स्वर में गाना पड़ेगा।।

 

अखिल विश्व में फिर उन्मुक्त होकर,

बंधनों से हमें पार जाना पड़ेगा।

नवल वर्ष में अब नए लक्ष्य पाने,

कदम से कदम को मिलाना पड़ेगा।।

 

फैलाए पांखे आकाश से अब,

हमें फिर क्षितिज तक जाना पड़ेगा।

सुनो सूर्य प्राची से उगने है वाला ,

जागृति शंख अब तो बजाना पड़ेगा।।

 

थके हैं जो पथ में, पाथेय देकर,

पुनः उनके पग को बढ़ाना पड़ेगा।

नए रास्ते पर नए जोश भरकर,

नयी मंजिलों तक जाना पड़ेगा।।

 

लक्ष्य है की सुखमय सारा जगत हो,

खुशहाली सब ओर लाना पड़ेगा।

श्रम से बनायेंगे माटी को सोना,

नए लक्ष्य को फिर से पाना पड़ेगा।।

-उमेश यादव

जन्मदिवस पर बधाई

 

*जन्मदिवस पर बधाई* corrected

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।।

जीवन का हर क्षण हो सुखमय,हरपल हो सुखदाई।।

 

जिओ सदा आनंदित जीवन,मंजिल अपनी पाओ।

मुस्कानों की कलियों को तुम,पुष्पों सा विहंसाओ।।

सुरभित रहे दशों दिशाएं, ना हो कोई कठिनाई।

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।।

 

मंगलमय शुभ संकल्पों से, भरा हो तेरा जीवन।

शुभ कर्मों के पुष्प खिले हों,हर्ष भरा हो चितवन।।

सुयश कीर्ति विस्तृत हो जैसे, संध्या की परछाई।

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।।

 

हो चिरंजीव,हो शतंजीव, लगे परहित में जीवन।

परिजन सखा सुखी रहें सब,ख़ुशी भरा हो आँगन।।

मातु पिता गुरुजन हों तेरे, आजीवन वरदाई।

जन्मदिवस पर आज सभी,देते हैं तुम्हें बधाई।।

 

सद्गुण की सुरभि से महके,तेरा जीवन उपवन।

हो महानता ऐसी जैसे,चमके रवि का रश्मि कण।।

अखिल विश्व का कण कण होवे, तेरे हित सुखदाई।

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।।

-उमेश यादव –

नवल वर्ष का अभिनन्दन है

 

२०२३ नवल वर्ष का अभिनन्दन है

 

नवल वर्ष का अभिनन्दन है,

बढ़ें, नया कुछ कर दिखलायें।

धरा धाम को श्रेष्ठ बनाने,

नव जागृति के शंख बजाये।।

 

अरुणोदय की वेला पावन,

सुरभित होती दशो दिशाएँ।

प्रातःकाल के दिव्य प्रवाह में,

पुष्पित होती है आशाएं।।

नए जगत के नवनिर्माण में,

अपना भी पुरुषार्थ लगाएं।।

नूतन वर्ष पुकार रहा है,

विश्व शांति को आगे आयें।

 

नए वर्ष में नए लक्ष्य लें,

नए जोश से काम करें हम।

कालखंड है नवयुग का अब,

तनिक नहीं विश्राम करें हम।।

बिगुल बजा है नवल क्रान्ति का,

बढ़ें, नए प्रकल्प विकसायें।।

स्वागत है इस नए वर्ष का,

नवीन क्रांति के विगुल बजाएं।

 

नया सवेरा नयी उमंगें,

नवल प्राण, विश्वास नए हैं।।

नया सूर्य है, नयी किरण है,

नवीन वात, हर स्वांस नए हैं

नयी सभ्यता नयी संस्कृति,

नव्य सृष्टि, नव कल्प बनाएं।

नवल वर्ष का सुप्रभात है,

मन में नव संकल्प जगाएं।।

-उमेश यादव

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।

 

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई

चतुर्दिक तुम्हारे खुशियाँ हो छाई।।

 

जगत हित तुम्हारा, अवतरण हुआ है

गुरु कार्य करने को, वरण भी हुआ है।।

पुष्प सा सुगन्धित, जीवन हो तेरा

तुम्हारे पिता(उपस्थित सभी) की, यही बस दुआ है।।

हरपल हरक्षण रहे सुखदाई

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

यशस्वी बनो तुम, मनस्वी बनो तुम 

हंसते रहो जग को, हंसाते रहो तुम।।

वचन मन कर्म सब, पावन रहेगा

ख्याति यश प्रतिष्ठा, फैलाते रहो तुम।।

रहे न निकट तेरे, कोई कठिनाई

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

आनंद से मन, मगन हो हमेशा

उर में तुम्हारे,टिके ना निराशा।।

स्नेह प्यार से दीप्त जीवन तुम्हारा

विपरीत पल में भी, रहे न हताशा।।

परिजन गुरु पितु, मातु वरदाई

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

देवों सा दुर्लभ जीवन मिला है

सौभाग्य से गुरु-दर्शन मिला है।।

श्रद्धेयद्वय से शुभ आशीष पाकर

शांतिकुंज(स्नेह-छांव) में ये बचपन पला है।।

परहित जीना है ये, माँ ने सिखाई

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

-उमेश यादव

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।

*तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।*

 

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।

चतुर्दिक तुम्हारे खुशियाँ हो छाई।।

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

जगत हित तुम्हारा, अवतरण हुआ है।

गुरु कार्य करने को, वरण हुआ है।।                            

सुमन सा सुगन्धित, जीवन तुम्हारा।

आज हम सभी की, यही बस दुआ है।।

हर पल, हर क्षण, रहे सुखदाई।

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

यशस्वी बनो तुम, मनस्वी बनो तुम।

हंसते रहो जग को, हंसाते रहो तुम।।

वचन मन कर्म सब, पावन तुम्हारा।

ख्याति यश प्रतिष्ठा, बढ़ाते रहो तुम।।

रहे न निकट तेरे, कोई कठिनाई।

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

आनंद से मन, मगन हो हमेशा।

उर में तुम्हारे, टिके ना निराशा।।

स्नेह प्यार से दीप्त, जीवन तुम्हारा।

विपरीत पलों में भी, रहे न हताशा।।

परिजन गुरु पितु, मातु वरदाई।

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

देवों सा दुर्लभ जीवन मिला है।

सौभाग्य से गुरु-दर्शन मिला है।।

श्रद्धेयद्वय के शुभ आशीष तुमपर।

स्नेह छाँव में उनके जीवन पला है।।

परहित लगे ये जीवन, शुभ घड़ी आई।

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

 

संकल्प लें कुछ नया कर दिखाएँ।

परोपकार कर हम जन्मदिन मनाएं।।

शुभकामनाएं तुम्हें जन्मदिन पर।

कलियों सा जीवन सदा मुस्कराये।।

नया वर्ष तुम्हारा रहे सुखदाई।

तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई।।

-उमेश यादव

बहना हमारी तुझे, मिल के सजाएं।

 

मिल के सजाएं।

बहना हमारी तुझे, मिल के सजाएं।

सोलहो श्रृंगार करके दुल्हन बनाएं।।

बहना हमारी तुझे,सब मिल सजाएं।।

 

रहो खुश सदा तुम, हल्दी लगाओ।

जुड़े के फूलों जैसा, घर महकाओ।।

शुभकर्म से री बहना,सभी मुस्कराएं। 

बहना हमारी तुझे, मिल के सजाएं।।

 

स्नेह प्रेम वाली कंगन,कलाई में डालें।

खुशियों भरा हो जीवन,चूड़ी पह्नालें।।

सुहागन रहो री बहना, भाग्य जगाएं।

बहना हमारी तुझे, मिल के सजाएं।।

 

मान प्रतिष्ठा बहना, माथे की बिंदिया।

सौभाग्य सूचक तेरी, माथे सिन्दुरिया।।

सखियाँ सहेली सब मिल, सुमंगलि गायें।

बहना हमारी तुझे, मिल के सजाएं।।

 

अपना वो घर होगा,हम भी तुम्हारे हैं।

घर अब दोनों तेरे, प्यार के सहारे है।।

ससुराल तुझको पाकर, स्वर्ग बन जाए।

बहना हमारी तुझे, मिल के सजाएं।।

-उमेश यादव

माता भगवती की महिमा का

 *माता भगवती की महिमा का*

अवतरित हुई हैं महाशक्ति, हम उनकी बात बताते हैं।।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

नवयुग का निर्माण धरा पर,गुरुवर ने संकल्प लिया।

शक्ति स्वरूपा माताजी ने,युग निर्माण प्रकल्प दिया।।

स्वर्ग धरा पर आये कैसे, गुरुवर ही हमें बताते हैं। 

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

सूर्य चन्द्र ब्रह्माण्ड जगत सब, माता की ही माया है।

महाकाल के कालचक्र को,माँ ने गतिमान कराया है।।

हर प्राणी की पालक पोषक, माँ की बात बताते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।  

 

शक्ति के अवतरण वर्ष में, नादब्रह्म जब ध्वनित हुई।

जसवंत राव शर्मा के घर में, माँ भगवती अवतरित हुई।।

राम प्यारी की लाली की, लीलामृत पान कराते हैं। 

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

बाल्य काल से ही माताजी,शिव चिंतन में लीन हुई।

महाकाल से महामिलन को, महाशक्ति तल्लीन हुई।।

शिव साधिका महाशक्ति की, साधन ध्यान बताते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

कठिन तपस्या की गुरुवर ने, माँ ने साथ निभाया था।

जौ की रोटी,छांछ बनाकर, माँ ने साथ में खाया था।।

प्रकृति-पुरुष के कठिन साधना, का वृतांत बताते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

ॐ, दया, श्रद्धा की पालक, जग को प्यार लुटातीं हैं।

शतीश, शैल की माताजी ही, जग माता कहलातीं है।।

हर प्राणी में स्नेह जगातीं, माँ की बात बताते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

एक सूत्र में बाँधा माँ ने, गायत्री परिवार बनाया।

गुरुवर के हर अभियानों को,माँ ने ही साकार कराया।।

विश्व क्रांति की अधिपति माते,को हम शीश नवाते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

सबका भाग्य बनाने वाली,सुख सौभाग्य जगाती हैं।

प्राणी मात्र को संवेदन का, अमृत पान कराती हैं।।

प्रेम दया करुणा ममता की, शीतलता माँ से पाते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

नारी जागृति अभियानों का, माँ ने शंख बजायी थी।

देवकन्याओं को शिक्षण दे, नारी शक्ति जगाई थी।।

नारी के गौरव गरिमा की, जागृति गान सुनाते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

अश्वमेध यज्ञों से माँ ने, जग में अलख जगाया है।

देव संस्कृति विजय पताका,चहुँ दिशि में फहराया है।।

दिव्य अलौकिक छवि माता की,सादर शीश झुकाते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

हर प्राणी में तुम हो माता,अन्नपूर्णा अन्नदाता हो।

स्नेह सुधारस पान कराती,अखिल विश्व की माता हो।।

प्यार तुम्हारा पाकर माते, सहज तृप्ति पा जाते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

भटक रहे मनुज को माँ ने, सही मार्ग दिखलाया है।

मानवता के श्रेष्ठ धर्म को पालन करना सिखलाया है।।

हम बदलेंगे युग बदलेगा,  मंत्र यही अपनाते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।

 

सुख को बांटो दुःख बंटाओ,माँ ने हमें बताया है।

मिल बांटकर खाओ रोटी, माँ ने ही सिखलाया है।।

स्नेह प्रेम वात्सल्य की देवी, का कर्तृत्व बताते हैं।

माता भगवती की महिमा का, सुन्दर कथा सुनाते हैं।।   -उमेश यादव  


गुरुवर के जीवन दर्शन को (सत्संकल्प)

*गुरुवर के जीवन दर्शन को (सत्संकल्प)*

गुरुवर के जीवन दर्शन को,जो जीवन में अपनाएगा।
गुरु का अनुशासन जो पाले, वही शिष्य कहलायेगा।।
निर्मल मन होगा जिस नर का,गुरु प्यार वह पायेगा।

हर प्राणी में वास प्रभु का,घट घट वही समाया है।
करता है वह न्याय सदा,सब पर उसकी ही माया है।।
ईश्वर का अनुशासन पाले जो, वही भक्त कहलायेगा।।
निर्मल मन होगा जिस नर का,गुरु प्यार वह पायेगा।।

यह शरीर ईश्वर का घर है,मंदिर इसे बनाना है।
संयम सेवा और साधना, जीवन में अपनाना है।।
कुविचार और दुर्भावों को, मन से दूर भगाएगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।

स्वाध्याय सत्संग करेंगे, मर्यादा अपनाएंगे।
कर्तव्यों से प्यार करेंगे,समाजनिष्ठ कहलायेंगे।।
वर्जनाओं से बचा रहे जो,बहादुर कहलायेगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।

नीति न्याय से जीवन जीता,समझ बूझ अपनाता है।
दशों दिशा में स्वर्ग जैसा ही, वातावरण बनाता है।।
परहित में जीवन जिए जो, परमवीर कहलायेगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।

अपना भाग्य बनाकर हम,औरों को श्रेष्ठ बनायेंगे।
अगर श्रेष्ठ बन पायें हम तो, सतयुग भूपर लायेंगे।।
भेदभाव हटाकर भारत, श्रेष्ठ राष्ट्र बन पायेगा।
स्वयं बदलकर युग बदलेगा,वही शिष्य कहलायेगा।।
 
सर्वश्रेष्ठ है मानव जीवन,यह गुरु ने बतलाया है।
हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, यह सबको सिखलाया है।।
स्वयं बदल जो युग बदलेगा, क्रान्ति वीर कहलायेगा।।
निर्मल मन होगा जिस नर का,गुरु प्यार वह पायेगा।।
-उमेश यादव

रविवार, 11 दिसंबर 2022

सेवा चिंतन ध्यान है@Umeshpdadav


सेवा चिंतन ध्यान है

*सेवा*

सेवा ही है पूजन अर्चन,सेवा चिंतन ध्यान है

सेवा धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है, सेवा से कल्याण है।।

 

धर्म और संस्कार हमारे, जीवन के आधार हैं

वसुधा पर आवास हमारा,हर प्राणी परिवार है।।

सेवा से मिलते हैं भगवन, सेवा गंग स्नान है

सेवा ही है पूजन अर्चन,सेवा चिंतन ध्यान है।।

 

परहित में जीना मरना ही सौभाग्य कहाता है

सद्विचार सद्कर्म हमारे सुख सौभाग्य जगाता है।।

सेवा से ही मोक्ष प्राप्ति है,सेवा से ब्रह्मज्ञान है

सेवा ही है पूजन अर्चन,सेवा चिंतन ध्यान है।।

 

मिल बाँट कर खाए रोटी, भूखा न कोई सो जाए

सुख को बाँटें,हँसे सभी जन, कोई भी न रो पाए।।

दया दान करुणा सेवा से,मिलते दिव्य वरदान है।।

सेवा ही है पूजन अर्चन,सेवा चिंतन ध्यान है।।

 

जरुरतमंदों की सेवा को,अपना सबकुछ अर्पित हो

देश धर्म की रक्षा खातिर, जीवन भी समर्पित हो।।

काम आ सके परहित में जो,वह जीवन महान है

सेवा ही है पूजन अर्चन,सेवा चिंतन ध्यान है।।

-उमेश यादव