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गुरुवार, 11 जनवरी 2024

हृदय स्पंदन, रघुकुलनंदन

 हृदय स्पंदन, रघुकुलनंदन

अवधपुरी कौशलपुर दर्शन, दिव्य अयोध्या धाम हरे।

हृदय स्पंदन, रघुकुलनंदन, निशिदिन वंदन राम हरे॥

 

रघुकुलनायक,संत सहायक,जन सुखदायक राम विभो।

दशरथ नंदन, दैत्य निकंदन, दिव्य अलौकिक धाम प्रभो॥

ऋषिगण पूजित, मुनिगण अर्चित, सुरगण सेवित राम हरे।

हृदय स्पंदन, रघुकुलनंदन, निशिदिन वंदन राम हरे॥

 

हे दुख हर्ता, पालन कर्ता, दुष्चिन्तन कर नाश प्रभो।  

भव-भय हारक,जनमोद्धारक,कृपा सिंधु श्रीनाथ विभो॥  

हृदय वास कर,दिव्य प्रकाश भर,दीनबंधु सुखधाम हरे।

हृदय स्पंदन, रघुकुलनंदन, निशिदिन वंदन राम हरे॥

 

मुकुट मणि मण्डल,कर्णन कुंडल,माथे तिलक लगाए रहे।

शर धनु शोभित,आनन प्रमुदित,खल दल त्रास दिलाए रहे॥

दिव्य मनोहर, स्वर्गिक सुंदर, हरण पाप प्रभु नाम हरे।

हृदय स्पंदन, रघुकुलनंदन, निशिदिन वंदन राम हरे॥

-उमेश यादव

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