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बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

वो ही है मेरा अपना

*वो ही है मेरा अपना*

गिर ना जाऊं मैं कहीं,वही राहें दिखाता है।।

वो ही है मेरा अपना,पकड़ उंगली चलाता है।।

गुरु ही है मेरा अपना,वो संकट से बचाता है।

वो ही है मेरा अपना,पकड़ उंगली चलाता है।।

 

डूबा ना पाओगे मुझे,गुरु की नाव बैठा हूँ।

भाव से भक्ति से मैं तो,गुरु के ही निरैठा हूँ।।

कर न पाओगे कुछ भी,मेरा तो वो ही त्राता है।

वो ही है मेरा अपना,पकड़ उंगली चलाता है।।

 

हमारी छांह है वो तो,मेरा प्रियतम है हमदम है।

हर पल साथ है मेरे, मेरे दिल का स्पंदन है।।

मेरे हर बात से वाकिफ, गुरु वो सर्वज्ञाता है।

वो ही है मेरा अपना,पकड़ उंगली चलाता है।।

 

ज्ञान के नूर से उसने, घर को जगमगाया है।

अश्कमय जब हुआ ये अक्ष,उसने ही हंसाया है।।

उजड़ी सी हुई चमन को,गुलशन वो बनाता है।

वो ही है मेरा अपना,पकड़ उंगली चलाता है।।

 

न गम है की मै हारा हूँ,जीत से ना इतराया है।

न चिंता आज की रहती,नतो कल ने जगाया है।।

छांव में हूँ सदा उनके, सुकून से वो सुलाता है।

वो ही है मेरा अपना,पकड़ उंगली चलाता है।।

-उमेश यादव, शांतिकुंज, हरिद्वार

 

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