*दो बोल मिठास के*
दो बोल मिठास के बोलें, क्या कमाल दिखाते हैं।
वाणी तो जाते कानों में, पर चेहरे खिल जाते हैं।
वाणी पीर मिटाता मन का,द्वेष यही फैलाता है।
शब्द तीर है घाव है करता, मरहम यही लगाता है।।
कुटिल वाणी से शत्रु बनते,वाणी ही मीत बनाते हैं।
दो बोल मिठास के बोलें, क्या कमाल दिखाते हैं।
मधुर बोल हों यदि हमारे और उत्तम व्यवहार हो।
बिना जीत के युद्ध भी जीतें,जीतें सकल संसार को।।
मीठी वाणी की कुंजी से,दिल के द्वार खुल जाते हैं।
दो बोल मिठास के बोलो, क्या कमाल दिखाते हैं।।
जितना बांटो उतना बढ़ता,मधुर वचन तो हैं अनमोल।
मीठी वाणी से सुख बढ़ता,कभी न घटता इसका तोल।।
जीवन में खुशियाँ ये घोले,मन को निर्मल कर जाते हैं।
दो बोल मिठास के बोलो, क्या कमाल दिखाते हैं।।
ईश्वर से बिन मांगे मिलता,चाहे जितना बाँट सकें।
मधुरवाणी से एक दूजे के,दिल की दूरी पाट सकें हम।।
सोचें समझें फिर हम बोलें, सबसे प्रीत बढाते हैं।
दो बोल मिठास के बोलो, क्या कमाल दिखाते हैं।।
उमेश यादव, शांतिकुंज हरिद्वार
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