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शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

तेरे हित जीवन है मेरा

*तेरे हित जीवन है मेरा*
तेरे हित जीवन है मेरा, तुझको सदा बचाता हूं।
टहनी पत्ते,धड़ से,जड़ से,काम तुम्हारे आता हूं।

फल देता हूं,फूल देता हूं,मुफत छांव भी देता हूं।
जहां कहीं संकट में होते, हर संकट हर लेता हूं।
हूं सम्पूर्ण अस्तित्व ही तेरा,पर तुझसे भय खाता हूं।
तेरे हित जीवन है मेरा, तुझको सदा बचाता हूं।
 
तेरे विकास से बने जहर को,पीकर स्वच्छ बनाता हूं।
वायु जल भोजन देकर मैं, तुझको पुष्ट बनाता हूं।
मुझसे ही संसार है तेरा,फिर भी तुमसे डर जाता हूं।
तेरे हित जीवन है मेरा, तुझको सदा बचाता हूं।

तेरे लिए खड़ा रहता हूं,आंधी में तूफानों में भी।
सर्वत्र तुम्हें सुरक्षित रखता,खेतों में खलिहानों में भी।
तेरे लिए अनमोल हूं फिर भी, तुझसे ही रौंदा जाता हूं।
तेरे हित जीवन है मेरा, तुझको सदा बचाता हूं।

टहनी,पत्ते,डाल काटते,जड़ से कभी मिटाते हो।।
इतना नादान हुआ तू कैसे,मुझको सदा सताते हो।
तेरा हूं हमदर्द सदा पर,दर्द तुम्हीं से पाता हूं।
तेरे हित जीवन है मेरा, तुझको सदा बचाता हूं।

मुझे नष्ट करके हे मानव, अपने विनाश को पाओगे।
मेरे बिन तुम इस धरती पर, जीते जी मर जाओगे।।
मुझे बचालो, तुम भी बचोगे, यह विश्वास दिलाता हूं।
तेरे हित जीवन है मेरा, तुझको सदा बचाता हूं।
उमेश यादव,शान्तिकुंज,हरिद्वार


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