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सोमवार, 6 दिसंबर 2021

हे गुरुवर, नमन है बारम्बार-(पवन सूत विनती )

*हे गुरुवर, नमन है बारम्बार*

हे करुणाकर, अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।।

तप:पूत अद्भुत बुद्धि ज्ञाना, वेदमूर्ति प्रभु कृपा निधाना।
गुरु ईश्वर हैं साथ में स्वामी, परम प्रतापी अंतर्यामी।।
दूर करो अन्धकार, हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर,अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।।

यज्ञ पिता गायत्री माता, जोड़ा इनसे जग का नाता।
ऋषियों के सब काज सँवारे। कुविचार जग से संहारे।।
भर दो प्रखर विचार, हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर,अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।।

गुरुरूप ईश्वर अवतारी, दिए ज्ञान मेटे अंधियारी।
भक्तिभाव से तुम्हें पुकारूं,मन से केवल तुम्हें निहारूं।।
कर दो मेरा उद्धार, हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर,अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।।

जय श्रीराम जगत हितकारी, जय गुरुदेव जग मंगलकारी।
जो भी तेरे शरण में आया,मन वंचित फल तुमसे पाया।।
भव से कर दो पार, हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर, अब तो कृपाकर, सुन लो शिष्य पुकार।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।।
-उमेश यादव

हे गुरुवर, नमन है बारम्बार(पवनसुत विनती बारम्बार)

*हे गुरुवर, नमन है बारम्बार*
हे करुणाकर, अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार
 
तप:पूत अद्भुत बुद्धि ज्ञाना, वेदमूर्ति प्रभु कृपा निधाना।
गुरु ईश्वर हैं साथ में स्वामी, दूर करो अन्धकार।।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर,अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार
 
यज्ञ पिता गायत्री माता, जोड़ा इनसे जग का नाता।
ऋषियों के सब काज सँवारे, भर दो प्रखर विचार।।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर,अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार
 
गुरुरूप ईश्वर अवतारी, दिए ज्ञान मेटे अंधियारी
भक्तिभाव से तुम्हें पुकारूं, कर दो मेरा उद्धार।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर,अब तो कृपाकर,सुन लो शिष्य पुकार
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार
 
जय श्रीराम जगत हितकारी, जय गुरुदेव जग मंगलकारी
हम भी तेरे शरण में आये, भव से कर दो पार।
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार।
हे करुणाकर, अब तो कृपाकर, सुन लो शिष्य पुकार
हे गुरुवर, नमन है बारम्बार
-उमेश यादव

बड़े जतन से गुरु आप मिले हो (किस्मत से तुम हमको मिले हो)

 *बड़े जतन से गुरु आप मिले हो (किस्मत से तुम हमको मिले हो)*

 

बड़े जतन से गुरु आप मिले हो,

गुरुवर मैं  धन्य हुआ, ये जीवन धन्य हुआ,

बड़े जतन  गुरु, आप मिले हो,

गुरुवर मैं तो धन्य हुआ, ये जीवन धन्य हुआ,

 

हाथ पकड़ लो मेरा अब तो,दूर करो अन्धेरा अब तो

दे दो अब हाथ तेरा,

बड़े जतन से  आप मिले हो,

गुरुवर मैं धन्य हुआ, ये जीवन धन्य हुआ,

हाथ पकड़ लो मेरा अब तो,दूर करो अन्धेरा अब तो

दे दो अब साथ मेरा,

बड़े जतन से हमें  मिले हो,

गुरुवर मैं धन्य हुआ, ये जीवन धन्य हुआ,

 

गुरुवर जबसे आप मिले हो,जीवन का शूल गया

याद रहे बस तुम माताजी,कष्टों को भूल गया

कष्ट हरण कर तारा हमको,डूब रहा था उबारा हमको

जीवन को तार दिया, तुमने ही प्यार दिया  

बड़े जतन से गुरु आप मिले हो,

गुरुवर मैं धन्य हुआ, ये जीवन धन्य हुआ,

अँधेरों में भटक रहा था,जीवन पथ में अटक रहा था

तुमने प्यार दिया  

बड़े जतन से हमें मिले हो,

गुरुवर मैं तो धन्य हुआ, ये जीवन धन्य हुआ,

हाथ पकड़ लो मेरा अब तो,दूर करो अन्धेरा अब तो

दे दो अब हाथ तेरा,

 

हाथ पकड़कर साथ चलाया,सत्कर्मों की राह दिखाया

अज्ञानी था तूने पढ़ाया, जीवन में कुछ योग्य बनाया

साहस दे उत्साह जगाया, प्राणशक्ति दे सबल बनाया

सांसों में बस तुम्ही बसे हो,रोम रोम में तुम्ही रचे हो

हो प्राण हमारा

बड़े भाग्य से गुरु आप मिले हो,

गुरुवर मैं तो धन्य हुआ, ये जीवन धन्य हुआ,

हाथ पकड़ लो मेरा अब तो,दूर करो अन्धेरा अब तो

दे दो अब हाथ तेरा,

सोमवार, 15 नवंबर 2021

बिरसा भगवान

 

*बिरसा भगवान*

बिरसा भगवान् गरीब का,निर्बल का हमराही था  

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।


उलीहातू खूंटी में पैदा,धरती का वह लाल हुआ

सुगना-कर्मी पूर्ति का घर-आँगन तब खुशहाल हुआ।।

करुण प्रेम से भरा ह्रदय था,जन सेवा ही प्यारा था

“धरती आबा” बने थे वे तो,नाम ही उनका न्यारा था।।

किया विरोध उनने अनीति का,और जो तानाशाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

 

पशु बलि और हिंसा को,मुंडा ने गलत बताया था

टोना जादू भुत प्रेत का,मन से वहम मिटाया था।।   

ईसाइयत स्वीकार नहीं, स्कूल से नाता तोड़ लिया

“साहेब साहेब एक टोपी” वैष्णव से नाता जोड़ लिया।।

सिंगबोंगा या सूर्योपासना,का वह परम पुजाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

 

फिरंगियों के अत्याचारों से जनवासी पस्त हुए थे

धर्म-संस्कृति पर आघातों से वनवासी त्रस्त हुए थे।।

भू लगान से बुरा हाल था,झारखण्ड घबराया था

सत्ता सुख में चूर फिरंगी,मद में अति बौराया था।।

अन्यायों से पीड़ित जनों का वह तो ही परछाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

 

जल जंगल जमीन की खातिर,बिरसा ने संग्राम किया

‘उलगुलान’ करके मुंडा ने,गोरों को लहू लुहान किया।।

तीर कमान भाले बरछे से,फिरंगी तब घबराया था

कैद किया बिरसा को उनने,विष देकर मरवाया था।।

हुआ शहीद देशभक्त था,जन जन का इलाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

-उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार

 

रविवार, 7 नवंबर 2021

दीप से दीप जलाएँ

 https://youtu.be/TnwAhGBKIII

।। दीप से दीप जलाएँ ।।

अन्तस के अँधियारे को, आओ हम दूर भगायें।

दीप से  दीप जलाएँ, आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुर नाश कर पुन: राम जब,अवधपुरी में आये थे।

नर - नारी आबाल वृध्द ने, घी के दीये जलाए थे।।

राम राज्य साकार हुआ था, सबने  खुशी  मनाये थे।

सम्पूर्ण राष्ट्र ही धन्य हुआ था,गीत खुशी के गाये थे।।

आओ मन के  असुरों को भी, फिर से मार भगायें।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

नरकासूर  ने  अत्याचार से, ऐसा  नर्क मचाया था।

देव पूजित नारियों को  ही, उसने बन्दी बनाया था।।

सत्यभामा संग श्रीकृष्ण ने, उनको  मुक्त कराया  था।

नरकासूर का नर्क मिटा कर,दीपोत्सव मनवाया था।।

नारी  का  अपमान नहीं, अब उनको सबल  बनाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँआओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुरों ने जब धरा धाम पर,भीषण अत्याचार किया।

माँ दुर्गा ने महाकाली बन, महिषासुर  संहार किया।।

तमसो मा सदगमय का फिर, भाव सर्वत्र जगाना है।     

हर कोना रोशन हो जाए, ऐसी ज्योति  जलाना   है।।

हम  बदलेंगे युग  बदलेगा, घर घर अलख जगाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।

        -उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार

गुरुवार, 4 नवंबर 2021

दीप से दीप जलाएं आओ दीपावली मनायें | दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ ।

https://youtu.be/TnwAhGBKIII
                    

।। दीप से दीप जलाएँ ।।

अन्तस के अँधियारे को, आओ हम दूर भगायें।

दीप से  दीप जलाएँ, आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुर नाश कर पुन: राम जब,अवधपुरी में आये थे।

नर - नारी आबाल वृध्द नेघी के दीये जलाए थे।।

राम राज्य साकार हुआ था, सबने  खुशी  मनाये थे।

सम्पूर्ण राष्ट्र ही धन्य हुआ था,गीत खुशी के गाये थे।।

आओ मन के  असुरों को भीफिर से मार भगायें।

दीप  से  दीप  जलाएँ आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

नरकासूर  ने  अत्याचार सेऐसा  नर्क मचाया था।

देव पूजित नारियों को  हीउसने बन्दी बनाया था।।

सत्यभामा संग श्रीकृष्ण नेउनको  मुक्त कराया  था।

नरकासूर का नर्क मिटा कर,दीपोत्सव मनवाया था।।

नारी  का  अपमान नहींअब उनको सबल  बनाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुरों ने जब धरा धाम पर,भीषण अत्याचार किया।

माँ दुर्गा ने महाकाली बनमहिषासुर  संहार किया।।

तमसो मा सदगमय का फिरभाव सर्वत्र जगाना है।     

हर कोना रोशन हो जाएऐसी ज्योति  जलाना   है।।

हम  बदलेंगे युग  बदलेगाघर घर अलख जगाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ आओ  दीपावली  मनाएं।।

        -उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार

शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

1.शैलपुत्री


 














1.माँ शैलपुत्री
शैलपुत्री हे मातु भवानी, बल आरोग्य प्रदान करो माँ।
शिवरूपा अम्बे कल्याणी,धन एश्वर्य का दान करो माँ।।

त्रिलोक जननी माँ हिमकन्या, वृषभ वाहिनी हे जगदम्बे।
नवदुर्गा के प्रथम स्वरुप हो,पद्म त्रिशूल कर शोभित अम्बे।।
हेमवती हो कृपा तुम्हारी,दुःख का पूर्ण निदान करो माँ।
शैलपुत्री हे मातु भवानी, बल आरोग्य प्रदान करो माँ।

मनोकामना पूर्ण करो माँ,हम सब पर उपकार करो।
वांछित फल भक्तों को दो माँ,भवसागर से पार करो।।
परमानंद प्रदान करो अब,कष्टों का अवसान करो माँ।
शैलपुत्री हे मातु भवानी,बल आरोग्य प्रदान करो माँ।

शैलसुता हे उमा शिवानी, मुक्ति भुक्ति दायिनी तू माता।
महा-मोह का नाश करो अब,चर-अचर स्वामिनी हे माता।।
सुखमय हो यह जगत तुम्हारा,नवयुग का निर्माण करो माँ।
शैलपुत्री हे मातु भवानी, बल आरोग्य प्रदान करो माँ।
-उमेश यादव

मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

7.माँ कालरात्रि

 7.माँ कालरात्रि

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो। 

हे रुद्राणी चंडी माँ, असुरों पर कठिन प्रहार करो।।  


हे काली, हे महाकाली, हे भद्रकाली, रुद्राणी माता।

नाम स्मरण से ही अम्बे,यातुधान त्रसित हो जाता।।  

हे चामुंडा, दुर्गा माँ, खल दनुजों का अहंकार हरो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।


दुष्टों से पीड़ा पाकर माँ, साधू संत अब भटक रहे हैं।

असुर पुनः बढ़ रहे विश्व में,रक्तबीज फिर पनप रहे हैं।। 

माँ चंडिका क्रोध करो फिर, रक्त-बीजों पर वार करो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।


भद्रकाली माँ, भक्त जनों को, अत्याचारी रुला रहे हैं। 

सत्पथगामी सज्जनता को,दैत्य-दुष्ट फिर सता रहे हैं।।

शुभंकरी कल्याण करो माँ, अधमों का उपचार करो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।

-उमेश यादव

सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

6.कात्यायिनी

6.कात्यायिनी

कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।
हे माँ अम्बिके,मातु पराम्बा,जगती का परिताप हरो।।

महिषासुर मर्दिनी हे माता, द्वेष दंभ अब दूर करो।
चन्द्रहास कर शोभित माते, दुष्टों को भयभीत करो।।
दानव घातिनी हे जगदम्बे,जनम जनम के पाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

योगमाया माँ कात्यायिनी की, अर्चन जो कर पाते हैं।
धर्म अर्थ और काम मोक्ष को,सहज साध ही पाते हैं।।
सिंह वाहिनी चतुर्भुजा माँ, अर्चक के त्रय ताप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

तू अमोघ फल दायिनी माते,योगेश्वरी महिमा है न्यारी।
त्रिभुवन सुंदरी हे माँ अम्बे,गौरवर्ण छवि है अति प्यारी।।
वर दो माते अभय करो अब, जीवन के अभिशाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।
-उमेश यादव