रंग गुलाल लेकर निकले है, सबको रंग लगायेंगे।
उत्साह उमंग जहाँ सोया है,उनको पुन: जगायेंगे।।
खुशियों का त्यौहार है प्यारा,झूम रहा देखो जग सारा।
अब तो आलस दूर भगाओ,इक दूजे को रंग लगाओ।।
राग द्वेष जो भी मन में है, उसको आज हटायेंगे।
रंग गुलाल लेकर निकले है, सबको रंग लगायेंगे।।
आओ मस्ती में झूम जायें, प्यार और सहकार बढ़ाएं।
कटुता का रंग फैला है जो, उसे हटा सद्भाव बढ़ाएं।।
प्रेम रंग में रंगकर सबमें, प्रेम भाव विकासायेंगे।।
रंग गुलाल लेकर निकले है, सबको रंग लगायेंगे।।
आओ रंग की नदी बहायें, अम्बर में गुलाल उड़ायें।
कलह कलुष को धोएं इसमें, रंग लगा संगी बन जाए।।
सभी चेहरे एक रूप कर, महफिल आज सजायेंगे।
रंग गुलाल लेकर निकले है, सबको रंग लगायेंगे।।
मन में नहीं कपट छल होगा,सत्य न्याय का संबल होगा।
कडवाहट की कैद हटेगी, सबका उच्च मनोबल होगा।।
मिल कर सारे एक बनेंगे, अंतर सारे मिट जायेंगे।
रंग गुलाल लेकर निकले है, सबको रंग लगायेंगे।।
थिरक रहें है पाँव हमारे, ढोल मजीरे के संग सारे।
स्नेह प्यार के रंग में भींगे, शुद्ध भाव हो रहे हमारे।।
होली कि रंगोली से ही, प्रेम मिलन कर पायेंगे।
रंग गुलाल लेकर निकले है, सबको रंग लगायेंगे।।
-उमेश यादव