*उड़े रंग
गुलाल शहर में*
होली है भई
होली है।
हम मस्तों की
टोली है।।
सखि संवर सँवर
सब अईहें।
होरी मधुर
मधुर स्वर गईहें।।
मन श्याम रंग
मतवारो।
तन मन सब रंग
रंगईहें।।
सखि संवर सँवर
सब अईहें।
होरी मधुर
मधुर स्वर गईहें।।
राधा रंग के
मारे पिचकारी जी।
निकले बच
कृष्ण मुरारी जी।।
ढोली ढोल
बजावे ढम-ढम के।
कान्हा नाच
नचावे छम छम के।।
सखि संवर सँवर
सब अईहें।
होरी मधुर
मधुर स्वर गईहें।।
बैर हटाएं
प्रेम बढ़ाएं।
एक दूजे को
रंग लगाएं।।
ब्रज ग्वालों
के संग मुरारी हैं।
गोपियों की भी
तैयारी है।।
उड़े रंग गुलाल
शहर में।
मन डूबा रंग
भंवर में।।
सखि संवर सँवर
सब अईहें।
होरी मधुर
मधुर स्वर गईहें।।
रंग गुलाल
लगाएंगे।
होली आज
मनाएंगे।।
तारारारा योगिरा
तारारारारा
राधा रंग रंगे
हैं गिरधारी जी।
कान्हा रंग
रंगे हैं ब्रजरानी जी।।
मन झूमर झूमर
के नाचे।
तन फगुवा के
रंग में रांचे।।
सखि संवर सँवर
सब अईहें।
होरी मधुर
मधुर स्वर गईहें।।
-उमेश यादव
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