जन्मदिवस पर दिव्यांश तुझको,ऐसा हम उपहार दें।
आशीषों के समंदर को ही, अब तुझपे हम वारि दें ।।
दिव्य तुम्हारा जन्म हुआ है,दिव्य कर्म हो रहे तुम्हारे।
शान्तिकुंज प्रांगण में पल बढ़,दिव्यभाव जग रहे तुम्हारे।।
बन जाओ सर्वश्रेष्ठ जगत में,हम अपना यही विचार दें।
जन्मदिवस पर दिव्यांश तुझको,ऐसा हम उपहार दें।
बचपन से ही योगी हो तुम,अद्भुत योग दिखाते हो।
अपनी प्रतिभा से तुम सबको,मंत्रमुग्ध कर जाते हो।।
जग में तेरा नाम हो ऊँचा,आशीष तुम्हें हर बार दें।
जन्मदिवस पर दिव्यांश तुझको,ऐसा हम उपहार दें।
दद्दा बुआ के प्रेम में पागल,इनके तुम अति प्यारे हो।
इन दोनों के दिल के धड़कन,तुम सुन्दर हो न्यारे हो।।
मन करता है जी भर करके, खूब सारा हम प्यार दें।
जन्मदिवस पर दिव्यांश तुझको,ऐसा हम उपहार दें।
--दद्दा एवं बुआ
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