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बुधवार, 14 जुलाई 2021

शिक्षा का स्वरुप

*शिक्षा का स्वरुप*

शिक्षा का स्वरुप बदलने,की अब तो दरकार है।
नौकर बनें न बच्चे अपने,इसके वो हकदार हैं।।

नौकरी  ही  चाहिए उनको, ऐसा नहीं पढ़ाएंगे।
हर काम उनसे हो जाए,उनको योग्य बनायेंगे।।
बचपन से ही स्वावलंबी  हों, इसके दावेदार हैं।
शिक्षा का स्वरुप बदलने,की अब तो दरकार है।।

संस्कारों  से  युक्त हों बच्चे ,ज्ञानवान बनायेंगे।
सभ्य और शालीन  बनें वे, प्राणवान बनायेंगे।।
बस्ता  बोझ  न होगा उनपर, ये तो अतिचार है।
शिक्षा का स्वरुप बदलने की,अब तो दरकार है।।

जिन विषयों में अभिरुचि हो,उसमें दक्ष बनाएं।
अंक पाने  की होड़ लगे ना, ऐसा पाठ पढ़ाएं।।
पढ़ने  लिखने पर भी क्यों, बच्चे  बेरोजगार हैं।
शिक्षा का स्वरुप बदलने,की अब तो दरकार है।।

शिक्षा का अधिकार सभी का,उनको योग्य बनाएं।
कार्य कुशलता का ही उनको, आगे पाठ पढ़ाएं।।
मालिक  बनें, नौकरी  दें वे,बच्चों को स्वीकार है।
नौकर  बनें न बच्चे अपने,इसके वो हकदार हैं।।
                    -उमेश यादव, शांतिकुंज हरिद्वार

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

ललन सहनी मुजफ्फरपुर मीनापुर प्रखण्ड के गांव धारपुर