रामकृष्ण परमहंस जयंती 15मार्च
भक्ति में है शक्ति अपरिमित,भगवन भी मिल जाते हैं।
रामकृष्ण परमहंस जगत को,भक्ति मार्ग दिखलाते हैं।।
माँ काली के परम भक्त थे, ईश् अंश अवतारी थे।
प्रेम, दया, करुणा, ममता, मानवता के पुजारी थे।।
हरि दर्शन को आतुर हर क्षण, ईश्वर को पा पाते हैं।
रामकृष्ण परमहंस जगत को,भक्ति मार्ग दिखलाते हैं।।
भक्ति भाव से रामकृष्ण ने,काली को साकार किया।
शुष्क हृदयों में भी गुरु ने, करुणा का संचार किया।।
ह्रदय पवित्र,मन निर्मल जन,ईश्वर दर्शन कर पाते हैं।
रामकृष्ण परमहंस जगत को,भक्ति मार्ग दिखलाते हैं।।
दरिद्र-नारायण की सेवा को,भक्ति मार्ग से जोड़ा था।
जाति-पाति और उच्च-नीच का,बंधन उनने तोड़ा था।।
सेवा पथ अपनाकर ही हम, ईश्वर से मिल पाते हैं।
रामकृष्ण परमहंस जगत को भक्ति मार्ग दिखलाते हैं।।
विद्या और अविद्या माया, का विस्तार बताया था।
गृहस्थ तपोवन है भगवन ने,जीकर स्वयं सिखाया था।।
‘कामिनी कंचन’ की बाधा से,ईश्वर मिल ना पाते हैं।।
रामकृष्ण परमहंस जगत को,भक्ति मार्ग दिखलाते हैं।।
इन्द्रिय निग्रह करके साधक, महायोगी बन पाते हैं।
धर्म सभी सच्चे होते बस, मार्ग अलग हो जाते हैं।।
ज्ञान,भक्ति,वैराग्य साधकर ,बंधन मुक्त हो पाते हैं।
रामकृष्ण परमहंस जगत को,भक्ति मार्ग दिखलाते हैं।।
-उमेश यादव
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