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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

अखंड ज्योति

अखंड ज्योति

सुरता पर है  प्रहार यह, ऋषियों का दिव्य विचार है

अज्ञानता का संहार करे यह, मनुजता को अनुपम उपहार है।।

खंड प्रलय सा  विकट समय में, झंझावातों से  निर्भय  है

ज्ञान ज्योति का सतत प्रवाह है,बढता रहा अनवरत अभय है।।

मरू नाद यह महाकाल का,वेणु कृष्ण की मधुर तान है 

ताल  दे  रहा  स्वयं काल  है, युग  प्रवाह का तीव्र चाल है 

ज्योति यह जो कभी न खंडित, दिग-दिगंत तक महिमा मंडित

प्रखर विचार फैलाये सबमें , बाल, वृद्धनारी, नर, पंडित।।

तिल तिल जल प्रकाश फैलाता, अंधकार जब जब गहराता

युग निर्माण का दिव्य सन्देश ले, सतत वेग से बढ़ता जाता।।

                                                                      -उमेश यादव 8 मार्च 2003


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